ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद भारत के अपने दौरे पर मंगलवार को दिल्ली पहुँच रहे हैं।
हालांकि राष्ट्रपति अहमदीनेजाद की ये यात्रा सिर्फ़ चार घंटे की होगी पर इस यात्रा के दौरान संभावना है कि ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइप लाइन पर चर्चा होगी।
दोनों देशों के बीच लंबित पड़ी इस परियोजना का अमरीका लंबे समय से विरोध करता आया है पर दोनों देश इसे लेकर आशान्वित रहे हैं।
इसी सिलसिले में पिछले सप्ताह बुधवार को भारतीय पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा पाकिस्तान गए और वहाँ ईरान-पाकिस्तान-भारत पाइपलाइन परियोजना पर बातचीत की।
इसी महीने 16 और 17 तारीख को दोनों देशों के अधिकारियों ने इस परियोजना पर बातचीत की थी।
भारत सरकार की ओर से भी ऐसी कोशिश की जा रही है कि अहमदीनेजाद की भारत यात्रा के दौरान इस दिशा में कुछ सकारात्मक प्रगति हो।
भारत आगमन से पहले सोमवार को अहमदीनेजाद पाकिस्तान गए थे। वहाँ से वो श्रीलंका गए और मंगलवार की शाम दिल्ली पहुंच रहे हैं।
गैस पाइपलाइन परियोजना
ग़ौरतलब है कि भारत पेट्रोलियम पदार्थों का एशिया में तीसरा बड़ा उपभोक्ता है और वह ईरान से गैस ख़रीदने की परियोजना पर पिछले एक दशक से बातचीत कर रहा है।
गैस को पाकिस्तान के रास्ते भारत लाना है और इसके लिए पाकिस्तान को दी जाने वाली रक़म पर सहमति नहीं बन पाने के कारण परियोजना पर काम रुका हुआ है।
प्राकृतिक गैसों के भंडार के मामले में दुनिया के दूसरे सबसे संपन्न देश ईरान ने वर्ष 1995 में ही भारत को गैस बेचने पर सहमति जताई थी।
तीनों देशों के संयुक्त कार्यदल की अब तक कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कोई अंतिम फ़ैसला नहीं हुआ है। ईरान की योजना है कि 2011 तक पाकिस्तान को गैस की आपूर्ति शुरू कर दी जाए।
भारतीय मंत्री
भारत ने पाइपलाइन परियोजना पर सक्रियता दिखानी शुरू की है
पाइपलाइन पर 1995 में बनी सहमति के बाद से गैस की क़ीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं और इसकी क़ीमत पर पेंच फंसा हुआ है।
इस तरह की ख़बरें आती रही हैं कि अमरीकी दबाव के कारण ईरान के साथ गैस परियोजना में देरी हो रही है। हालांकि भारत इससे इनकार करता आया है।
ऐसे ख़बरें भी आईं थीं कि इस परियोजना से भारत के बाहर निकलने पर ईरान उसकी जगह पर चीन को शामिल कर सकता है। इसके बाद से भारत का रुख़ और सक्रिय हो गया है।
अहम दौरा
अपनी भारत यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अहमदीनेजाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाक़ात करेंगे।
पिछले दो वर्षों में ये दूसरा मौक़ा होगा जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति अहमदीनेजाद की मुलाक़ात होगी। इस दौरान दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे।
ईरानी राष्ट्रपति के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें ईरान के विदेश मंत्री और वाणिज्य मंत्री मीर क़ाज़िमा शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि अमरीका ने अहमदीनेजाद की भारत यात्रा से ठीक पहले कहा था कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश में जुटा है और भारत-पाकिस्तान के साथ तेल परियोजना से ईरान को अलग-थलग करने का अभियान कमज़ोर पड़ जाएगा।
पर भारत ने इसपर कड़ा रुख़ अपनाते हुए अमरीका को स्पष्ट तौर पर कहा था कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है या नहीं इसका फ़ैसला अमरीका को नहीं करना चाहिए बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) पर छोड़ देना चाहिए।
साथ ही यह भी कहा था कि ईरान और भारत लंबे समय से एक दूसरे के साथ द्विपक्षीय संबंध रखते आए हैं और इन संबंधों को किस तरह से देखा जाए, इसे किसी और देश को समझाने की ज़रूरत नहीं है।
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