बर्मा में शनिवार को आए तूफ़ान में मरनेवालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकारी टीवी का कहना है कि मरनेवालों की संख्या 15 हज़ार तक पहुँच गई है।
बर्मा के विदेश मंत्री न्यान विन का कहना है कि बर्मा के मुख्य शहर रंगून से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित शहर बोगाले में ही लगभग 10 हज़ार लोग मारे गए हैं।
उनका कहना है कि अधिकारी अब भी नुक़सान का अनुमान लगा रहे हैं और हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है।
इधर अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियाँ बर्मा में व्यापक सहायता कार्यक्रम की तैयारी कर रही हैं। ख़बरें हैं कि वहाँ हज़ारों लोग बिना साफ़ पानी और आश्रय के रह हैं।
इधर बर्मा के नेताओं ने घोषणा की है कि वो बाहरी सहायता स्वीकार करने को तैयार है।
अब तक बर्मा के सैन्य शासक सहायता एजेंसियों को लेकर संदेहास्पद रहे हैं और उनकी सीमित गतिविधियों की ही अनुमति दी है।
भारत ने पोर्ट ब्लेयर से दो जहाज़ भेजने का फ़ैसला किया है जिसमें खाना, टेंट, कंबल, कपड़े और दवाइयाँ होंगी।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि वो हर संभव मानवीय सहायता मुहैया कराने की कोशिश करेंगे।
अमरीका, यूरोपीय संघ और जापान ने आपात सहायता देने की पेशकश की है।
तूफ़ान से तबाही
कई आलोचकों का आरोप है कि बर्मा में आपदा को लेकर अधिकारियों की प्रतिक्रिया धीमी रही है और लोगों को तूफ़ान के बारे में आगाह नहीं किया गया था।
सोमवार को शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि 351 लोगों की मौत हुई है।
शनिवार को बर्मा में 'नर्गिस' नाम का तूफ़ान आया था जिसकी तीव्रता 190 मीटर प्रति घंटा थी।
बर्मा
तूफ़ान ने तटीय इलाक़ों में व्यापक तबाही मचाई है
'नर्गिस' ने इरावदी, रंगून, बागो, कारेन और मोन क्षेत्र में भीषण तबाही मचाई है।
इस तूफ़ान में हज़ारों घरों को या तो क्षति पहुंची है या फिर वे ध्वस्त हो गए हैं।
बर्मा में पाँच इलाक़ों को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया है और राहत और बचाव कार्यों में सेना और पुलिस को लगाया गया है।
रंगून से एक नागरिक ने बीबीसी को बताया कि तूफ़ान के बाद से ही बिजली की आपूर्ति ठप पड़ी है और अभी तक पीने के पानी भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
टेलीफ़ोन लाइनें ठप्प हैं। सड़कों पर कई पेड़ गिरे हुए हैं इसलिए यातायात बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
सरकारी टेलीविज़न के मुताबिक़ इरावदी के लबूटा शहर में 75 फ़ीसदी घरों को नुक़सान पहुँचा है। अनेक घरों की छतें उड़ गईं।
संवाददाताओं का कहना है कि इस चक्रवात के कारण जो नुक़सान हुआ है उसका सही अनुमान लगा पाने में अभी कई दिनों का वक्त लग सकता है।
रंगून में इंटरनेट और टेलीफ़ोन सेवा ठप हो जाने के कारण तूफ़ान से हुई तबाही की सही तस्वीर सामने नहीं आ पा रही है।
आधिकारिक मीडिया के अनुसार रंगून बंदरगाह पर चार मालवाहक पोत डूब गए हैं और कई लोग मारे गए हैं।
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