Monday, May 5, 2008

सोमनाथ के ख़िलाफ़ एनडीए के कड़े तेवर

भारत में विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लोकसभा की कार्यवाही में बाधा डालने के मुद्दे पर 32 सांसदों के नाम विशेषाधिकार समिति को भेजने के ख़िलाफ़ कड़े विकल्पों पर विचार कर रहा है।

पिछले हफ़्ते बढ़ती महँगाई के मुद्दे पर लोकसभा में ज़बर्दस्त हंगामा हुआ था और ये सांसद सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के आसन के पास पहुँच गए थे।

इससे आहत होकर लोकसभा अध्यक्ष ने इन सांसदों के आचरण पर कड़ी टिप्पणी की और इनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई हो या नहीं ये तय करने के लिए मामला विशेषाधिकार समिति को भेजने का फ़ैसला किया।

सोमनाथ चटर्जी के इस क़दम से एनडीए के नेता नाराज़ हैं और उन्होंने सोमवार सुबह अगली रणनीति बनाने के लिए एक बैठक बुलाई है।


लोकसभा अध्यक्ष अगर इस तरह से सदन चलाने का काम करेंगे तो ये संभव नहीं है। वो रोज़ कुछ न कुछ बोलते रहते हैं। उनकी रनिंग कमेंट्री चालू रहती है। ऐसा नहीं चलेगा।

शरद यादव

संभावना है कि इस मुद्दे की गूँज अब लोकसभा में सुनाई देगी और इस मामले पर फिर हंगामा हो सकता है।

एनडीए के मुख्य घटक दल भाजपा की प्रवक्ता सुषमा स्वराज ने बीबीसी संवाददाता मोहन लाल शर्मा से कहा, "हमनें सोमवार सुबह बैठक बुलाई है जिसमें इस विषय को रखा जाएगा। इसमें विपक्षी गठबंधन के सभी दल शामिल होंगे।"

जनता दल (युनाईटेड) के अध्यक्ष शरद यादव का कहना था, "लोकसभा अध्यक्ष अगर इस तरह से सदन चलाने का काम करेंगे तो ये संभव नहीं है। वो रोज़ कुछ न कुछ बोलते रहते हैं। उनकी रनिंग कमेंट्री चालू रहती है। ऐसा नहीं चलेगा।"

शरद यादव का कहना है कि सोमनाथ चटर्जी पहले भी विवादास्पद टिप्पणी करते रहे हैं।

उनका कहना था, "ये ज़रूर है कि समय के साथ सदन चलाने का काम कठिन हो गया है लेकिन इस तरह किसी समस्या का समाधान करने से बात नहीं बनेगी।"

ग़ौरतलब है कि इन 32 सांसदों में से अधिकतर विपक्षी दलों के हैं और सबसे ज़्यादा सांसद भाजपा के हैं।

हालाँकि सरकार को बाहर से समर्थन दे रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के नेता मोहम्मद सलीम कहते हैं, "ये लोकसभा अध्यक्ष का अधिकार है कि वो किसी सदस्य के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकते हैं। अगर सांसद ख़ुद कार्यवाही में बाधा डालते हैं तो विशेषाधिकार समिति कोई फ़ैसला कर सकती है।"

लोकसभा अध्यक्ष के इस क़दम का समाजवादी पार्टी ने भी विरोध किया है।

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