संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि तूफ़ान से हुई तबाही से अकेले निपटना बर्मा के बूते से बाहर है।
हालाँकि उन्होंने स्थिति को नियंत्रण में बताया है।
तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों का दौरा करने के बाद बान की मून शुक्रवार को राजधानी नेपीदॉ में बर्मा के सैन्य शासक जनरल थान श्वे से बातचीत करने वाले हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की पहुँच बढ़ाने पर चर्चा होने की संभावना है।
चक्रवातीय तूफ़ान नर्गिस से सबसे बुरी तरह प्रभावित इरावदी क्षेत्र में उन्होंने फ़सलों की बर्बादी और तबाह हुए गाँवों का मुआयना किया।
वो एक राहत शिविर में भी गए। उन्होंने कहा कि उनकी बर्मा यात्रा का मकसद यहाँ की सरकार को ज़्यादा सहायता स्वीकार करने के लिए राजी करना है।
इस तूफ़ान ने 78 हज़ार लोगों की जानें ली है और लगभग 56 हज़ार लोग अभी भी लापता हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चिंता
बान की मून ने चिंता जताई है कि संयुक्त राष्ट्र की सहायता लगभग पाँच लाख लोगों तक ही पहुँच पा रही है जबकि बर्मा में लगभग बीस लाख लोगों को तुरंत सहायता की ज़रूरत है।
एक विदेशी डॉक्टर ने बीबीसी से कहा कि अब भी बहुत से लोग छोटे-छोटे तालाबों से पानी पीने के लिए मजबूर हैं। डॉक्टर का कहना है था कि बच्चे और बुज़ुर्ग लोग दस्त, पेट की ख़राबी, डेंगू बुख़ार और अन्य बीमारियों का सामना कर रहे हैं।
इस बीच बान की मून ने इन ख़बरों का खंडन किया है कि उनकी यात्रा के ज़रिए बर्मा के तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों की भ्रामक तस्वीर देने की कोशिश की जा रही है।
बान की मून ने अपना बर्मा दौरा शुरू करते हुए कहा था कि लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ना कि राजनीति को।
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