संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून बर्मा पहुँच गए हैं। वो तूफ़ान से बुरी तरह प्रभावित इरावदी डेल्डा का दौरा करेंगे और बर्मा के सैन्य नेता से भी मिलेंगे।
उन्होंने कहा है कि लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ना कि राजनीति को।
बर्मा की सैनिक सरकार ने बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय मदद लेने से इनकार कर दिया था लेकिन दबाव पड़ने के बाद संयुक्त राष्ट्र के कुछ हेलिकॉप्टरों को राहत सामग्री उतारने की अनुमति दी गई।
चक्रवातीय तूफ़ान नर्गिस से हुई तबाही के लगभग बीस दिन बाद भी सहायता एजेंसियों का कहना है कि वो प्रभावित इलाक़ों में अपनी क्षमता का सिर्फ़ तीस फ़ीसदी काम कर पा रहे हैं।
अहम समय
नर्गिस से जान-माल की भारी क्षति हुई है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 78 हज़ार है और 56 हज़ार लोग अभी भी लापता हैं।
हमें बर्मा के लोगों के लिए जहाँ तक संभव हो सके प्रयास करना चाहिए। ये बर्मा के लिए अहम समय है। ख़ुद वहाँ की सरकार मान रही है कि इससे बड़ी विपदा पहले नहीं आई।
बान की मून
लाखों लोगों को तूफ़ान ने बेघर कर दिया। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 24 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं जबकि सिर्फ़ एक चौथाई प्रभावितों तक राहत पहुँची है।
ब्रिटेन, फ़्रांस और अमरीका के कई जलपोत खाद्य और अन्य सामानों के साथ लंगर डाले खड़े हैं लेकिन उन्हें बर्मी तटों पर आने की इजाज़त नहीं दी गई है।
बैंकॉक से बर्मा रवाना होने से पहले बान की मून ने कहा, "हमें बर्मा के लोगों के लिए जहाँ तक संभव हो सके प्रयास करना चाहिए। ये बर्मा के लिए अहम समय है। ख़ुद वहाँ की सरकार मान रही है कि इससे बड़ी विपदा पहले नहीं आई।"
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुरुवार को प्रभावित इलाक़ों का दौरा करेंगे और नई राजधानी ने पी तॉ जाएंगे जहाँ वो सैन्य शासक जनरल थान श्वे से मुलाक़ात करेंगे।
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