Saturday, June 14, 2008

क्या फाँसी सिर्फ़ नेताओं के लिए है:शरीफ़ - जून 14, 2008

नवाज़ शरीफ़ ने इस्लामाबाद में जुटे हज़ारों वकीलों को संबोधित करते हुए कहा है कि राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को उनके 'अपराधों' की सज़ा मिलनी चाहिए।
पिछले साल नवंबर में बर्ख़ास्त किए गए जजों की बहाली को लेकर देश भर से भारी तादाद में इस्लामाबाद में जुटे वकीलों की रैली शनिवार तड़के ख़त्म हुई।
रैली को मुस्लिम लीग (नवाज़) के प्रमुख नवाज़ शरीफ़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एतेज़ाज़ अहसन के अलावा कई नेताओं ने संबोधित किया।
नवाज़ शरीफ़ ने कहा कि संविधान से खिलवाड़ और 1999 में उनकी सरकार के तख़्तापलट के लिए राष्ट्रपति मुशर्रफ़ को ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए।
उनका कहना था, "हमनें आपसे (मुशर्रफ़) चुनाव के बाद पद छोड़ने को कहा लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। अब लोगों ने आपके लिए नया फ़ैसला दिया है। वे आपको ज़िम्मेदार ठहराना चाहते हैं। "
उग्र हुए वकील
जब शीरफ़ भाषण दे रहे थे उस समय भीड़ में से कुछ लोगों ने 'मुशर्रफ़ को फाँसी दो' के नारे लगा रहे थे।
क्या फाँसियाँ सिर्फ़ सियासतदानों के लिए होती हैं? इन ख़ून चूसने वाले तानाशाहों को भी ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए नवाज़ शरीफ़
पूर्व प्रधानमंत्री ने सवालिया लहज़े में कहा, "क्या फाँसियाँ सिर्फ़ सियासतदानों के लिए होती हैं? इन ख़ून चूसने वाले तानाशाहों को भी ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए। "
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की अगुआई में बनी सरकार पीएमएल (एन) के समर्थन पर टिकी है।
पीएमएल(एन) ने सरकार गठन के लिए हुए समझौते के दौरान ही ये माँग रखी थी कि नई सरकार बर्ख़ास्त जजों की बहाली का फ़ैसला करेगी।
सरकार पर दबाव डालने के लिए नवाज़ शरीफ़ ने कुछ दिनों पहले केंद्रीय कैबिनेट से अपनी पार्टी के मंत्रियों को हटा लिया था।
विश्लेषकों का कहना है कि इस ताज़ा रैली से सरकार पर दबाव बढ़ेगा। रविवार से संसद की कार्यवाही शुरु हो रही है और इसमें इन माँगों पर ज़बर्दस्त हंगामा हो सकता है।

1 comment:

हरिमोहन सिंह said...

सही सवाल है जब तक तानाशाहों को सजा नहीं मिलेगी तक तक ये बाज नहीं आयेगें