Friday, June 13, 2008

'नेतागिरी छोड़, अपने हितों पर ध्यान दे भारत' - जून 13 , 2008

अमरीका ने इशारा किया है कि विश्व व्यापार समझौते या दोहा राउंड की बातचीत में भारत को अपने हितों का ध्यान रखकर बात करना चाहिए न कि प्रगतिशील देशों के नेता की तरह.अमरीका चाहता है कि भारत और ब्राज़ील अपनी बात चाहें तो रखें लेकिन वे किसी गुट की तरह सामने न आएँ।
अमरीकी नेताओं को लगने लगा है कि बातचीत भारत के कारण अटक रही है।

हालांकि भारत की ओर से बातचीत कर रहे केंद्रीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने इसका खंडन करते हुए कहा है कि ऐसा कहने वालों को मामले की समझ नहीं है।

'अपना फ़ायदा'

ये पूछे जाने पर कि कौन सा ऐसा एक कदम होगा जो अमरीका चाहेगा कि भारत उठाए जिससे दोहा राउंड की बातचीत सफल हो जाए, विश्व व्यापार समझौते की बातचीत में अमरीका का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिकारी सूज़न स्वाब ने कहा है कि भारत को प्रगतिशील देशों के गठबंधन के नेता की तरह नहीं बल्कि 'अपने फ़ायदे को ध्यान में रखकर बात करनी चाहिए।'

सूज़न स्वाब का कहना है दोहा राउंड कोई प्रगतिशील देशों और संपन्न देशों के बीच बंटा हुआ नहीं है और सभी प्रगतिशील देशों के फ़ायदे और नुकसान भी एक जैसे नहीं हैं।
उनका कहना है कि इस बातचीत में भारत और ब्राज़ील जैसे देशों की अहमियत एक अच्छी बात है लेकिन इसे प्रगतिशील देशों की एकता के गठबंधन की तरह नहीं पेश किया जाए।

इसी हफ़्ते एक अमरीकी अधिकारी ने कहा था कि भारत को समझना चाहिए कि विश्व व्यापार की बातचीत कोई दानकर्ता देशों का सम्मेलन नहीं है और भारत इसकी सफलता में एक बड़ी रूकावट बन रहा है।

'निराधार'
वाशिंगटन के दौरे पर आए भारतीय वाणिज्य मंत्री कमलनाथ ने इन आलोचनाओं को निराधार बताया है और कहा है कि जो अधिकारी इस तरह के बयान दे रहे हैं उन्हें शायद मामले की समझ नहीं है।
कमलनाथ ने पिछले दो दिनों में सूज़न स्वाब के अलावा कई और अधिकारियों के साथ मुलाक़ात की है और उनका कहना है कि बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है और उन्हें उम्मीद है कि इसमें सफलता मिल सकती है।

अमरीका उन किसानों के हितों की रक्षा करना चाह रहा है जिनकी आमदनी पाँच लाख डॉलर है, भारत उन किसानों की बात कर रहा है जिनकी आमदनी एक दिन में एक डॉलर से भी कम है

कमलनाथ, वाणिज्य मंत्री
उनका कहना है कि इसके लिए ज़रूरत इस बात की है कि सभी पक्ष एक दूसरे की संवेदनशीलता का आदर करें।
कमलनाथ का कहना था, "अमरीका उन किसानों के हितों की रक्षा करना चाह रहा है जिनकी आमदनी पाँच लाख डॉलर है,
भारत उन किसानों की बात कर रहा है जिनकी आमदनी एक दिन में एक डॉलर से भी कम है।"
उन्होंने कहा कि ये मानकर चलने की ज़रूरत है किसी भी देश को सबकुछ नहीं मिल जाएगा, और कोई भी देश सबकुछ छोड़ देने को तैयार नहीं होगा।

जहां वाशिंगटन में दोनों ही पक्षों की ओर से इस तरह के बयान आए हैं वहीं जेनेवा में इस समय दोहा राउंड की उच्च स्तरीय बातचीत जारी है भारत अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों में कृषि क्षेत्र में दी जा रही भारी सब्सिडी को मुद्दा बना रहा है तो अमरीका सेवा क्षेत्र में और खुलेपन की मांग कर रहा है।

अंदाज़ा है कि जेनेवा में इस समय चल रही बातचीत जून के आख़िरी हफ़्ते तक या फिर जुलाई की शुरूआत तक एक मंत्री-स्तरीय बातचीत का रास्ता तैयार करेगी।

इस बीच सभी पक्ष उम्मीद ज़ाहिर कर रहे हैं कि साल के अंत तक एक समझौते तक पहुँचा जा सकता है।
लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाया तो अमरीका में होगी नई सरकार और पहले से ही उलझे दोहा राउंड की पेचीदिगीयाँ और उलझ जाएँगी इसमें कोई संदेह नहीं।

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