उत्तर प्रदेश सरकार ने सहारा उद्योग समूह को चेतावनी देते हुए कहा है कि लखनऊ स्थित सहारा सिटी में उसके सारे निर्माण कार्य अवैध हैं। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सहारा सिटी में बुधवार रात कई इमारतों को गिराने की कार्रवाई के तरीके पर आपत्ति की और अंतरिम आदेश के तहत कहा है कि राज्य सरकार सहारा सिटी की ज़मीन को 24 घंटे के अंदर वापस लौटा दे।
राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है।
इसके बाद गुरुवार शाम लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक विज्ञप्ति जारी की। इसमें कहा गया है कि सरकारी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वालों से सख़्ती से निपटा जाएगा, चाहे वो कितने ही प्रभावशाली क्यों न हों।
विज्ञप्ति में कहा गया है, "सहारा सिटी में जितने भी निर्माण कार्य कराए गए उनमें से एक का भी नक़्शा पास नहीं है । इसलिए ये सभी ग़ैर क़ानूनी हैं।"
मनमाना उपयोग
प्राधिकरण का कहना है, "सहारा सिटी जिस भूखंड पर स्थापित है वो लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने केवल लाइसेंस पर दिए थे। इनमें 140 एकड़ ज़मीन ग्रीन बेल्ट के लिए और केवल 130 एकड़ ज़मीन आवासीय या व्यावसायिक उपयोग के लिए दी गई थी। "
प्राधिकरण का कहना है कि सहारा इंडिया कंपनी ने समस्त क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए इस ज़मीन का मनमाने ढंग से उपयोग किया।
राज्य सरकार ने सहारा इंडिया के उस आरोप को बेबुनियाद बताया है जिसमें कहा गया है कि बुधवार रात को जो कार्रवाई की गई वो अंबेडकर पार्क का विस्तार करने के लिए की गई थी ।
प्राधिकरण के प्रवक्ता ने कहा कि सहारा समूह ने मास्टर प्लान को धता बताकर तीस मीटर चौड़ी सड़क की ज़मीन अपनी चहारदीवारी के अंदर ले ली और इसे निजी संपत्ति बना लिया।
उन्होंने कहा कि 13 जून को इस मसले पर सहारा समूह के लोगों के साथ बैठक भी हुई थी और इसी अवैध क़ब्ज़े को हटाने के लिए बुधवार रात कार्रवाई की गई।
राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है।
इसके बाद गुरुवार शाम लखनऊ विकास प्राधिकरण ने एक विज्ञप्ति जारी की। इसमें कहा गया है कि सरकारी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वालों से सख़्ती से निपटा जाएगा, चाहे वो कितने ही प्रभावशाली क्यों न हों।
विज्ञप्ति में कहा गया है, "सहारा सिटी में जितने भी निर्माण कार्य कराए गए उनमें से एक का भी नक़्शा पास नहीं है । इसलिए ये सभी ग़ैर क़ानूनी हैं।"
मनमाना उपयोग
प्राधिकरण का कहना है, "सहारा सिटी जिस भूखंड पर स्थापित है वो लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम ने केवल लाइसेंस पर दिए थे। इनमें 140 एकड़ ज़मीन ग्रीन बेल्ट के लिए और केवल 130 एकड़ ज़मीन आवासीय या व्यावसायिक उपयोग के लिए दी गई थी। "
प्राधिकरण का कहना है कि सहारा इंडिया कंपनी ने समस्त क़ानूनों का उल्लंघन करते हुए इस ज़मीन का मनमाने ढंग से उपयोग किया।
राज्य सरकार ने सहारा इंडिया के उस आरोप को बेबुनियाद बताया है जिसमें कहा गया है कि बुधवार रात को जो कार्रवाई की गई वो अंबेडकर पार्क का विस्तार करने के लिए की गई थी ।
प्राधिकरण के प्रवक्ता ने कहा कि सहारा समूह ने मास्टर प्लान को धता बताकर तीस मीटर चौड़ी सड़क की ज़मीन अपनी चहारदीवारी के अंदर ले ली और इसे निजी संपत्ति बना लिया।
उन्होंने कहा कि 13 जून को इस मसले पर सहारा समूह के लोगों के साथ बैठक भी हुई थी और इसी अवैध क़ब्ज़े को हटाने के लिए बुधवार रात कार्रवाई की गई।
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