भारत-अमरीका परमाणु समझौते के मुद्दे पर बुधवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और वामदलों की अहम बैठक होने जा रही है। इस मुद्दे पर पैदा हुआ गतिरोध यूपीए के घटक दलों के प्रयासों के बावजूद ख़त्म नहीं हो पाया है। दोनों पक्ष राष्ट्र हित, रणनीतिक प्राथमकिताओं और ऊर्जा की ज़रूरतों की दुहाई दे रहे हैं।
जहाँ यूपीए सरकार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ बातचीत के अंतिम चरण में भाग लेकर भारत का पक्ष रखने को उत्सुक है वहीं वामदल भारत-अमरीका असैनिक परमाणु समझौते के अपने विरोध पर अड़े हुए हैं।
वामदलों ने दोहराया है कि यदि आईएईए के साथ आगे वार्ता होती है तो वे यूपीए सरकार को बाहर से दिया जाने वाला समर्थन वापस ले लेंगे।
दूसरी ओर अमरीका लगातार कहता आ रहा है कि यदि भारत इस समझौते के अंजाम तक पहुँचाना चाहता है तो भारत के लिए समय कम ही है। भारत में अमरीकी राजदूत रॉबर्ट ब्लैकविल प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान से मिले हैं।
'समझौता भी, वामदलों का साथ भी'
यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दलों - राष्ट्रीय जनता दल और द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी डीएमके ने जहाँ कहा है कि भारत-अमरीका असैनिक परमाणु संधि देश के हित में है, वहीं वे ये भी कह रहे हैं कि वे चुनाव निकट होने की परिस्थिति में वामदलों को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
यूपीए के नेताओं - प्रणव मुखर्जी, शरद पवार, लालू प्रसाद यादव और करुणानिधि ने वामपंथी नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं। ये नेता अलग से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले हैं।
ग़ौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) पहले ही सरकार के समर्थन वापस ले चुकी है। चाहे सरकार को इससे तत्काल कोई ख़तरा नहीं है लेकिन वामदलों की धमकी को देखते हुए यूपीए सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
यूपीए को समर्थन पर समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं
उधर हाल में कांग्रेस के क़रीब आई समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
मुलायम का रुख़
समाजवादी पार्टी नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि वे संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (यूएनपीए) के नेताओं से तीन जुलाई के बातचीत करेंगे और फिर ही भारत-अमरीका परमाणु समझौते पर कोई आख़िरी फ़ैसला करेंगे।
यूएनपीए में समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और असम गण परिषद शामिल है। कुछ अन्य दल भी पहले इस गठबंधन में शामिल थे लेकिन अब वे यूएनपीए के साथ हैं या नहीं इस पर उनका रुख़ स्पष्ट नहीं है।
समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह कह चुके हैं कि उनकी रातों-रात इस मुद्दे पर अपना रुख़ बदल नहीं सकती क्योंकि सरकार ने ऐसे कोई नए तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं जिनके कारण पार्टी परिवर्तन करना ज़रूरी समझे।
जहाँ यूपीए सरकार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ बातचीत के अंतिम चरण में भाग लेकर भारत का पक्ष रखने को उत्सुक है वहीं वामदल भारत-अमरीका असैनिक परमाणु समझौते के अपने विरोध पर अड़े हुए हैं।
वामदलों ने दोहराया है कि यदि आईएईए के साथ आगे वार्ता होती है तो वे यूपीए सरकार को बाहर से दिया जाने वाला समर्थन वापस ले लेंगे।
दूसरी ओर अमरीका लगातार कहता आ रहा है कि यदि भारत इस समझौते के अंजाम तक पहुँचाना चाहता है तो भारत के लिए समय कम ही है। भारत में अमरीकी राजदूत रॉबर्ट ब्लैकविल प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान से मिले हैं।
'समझौता भी, वामदलों का साथ भी'
यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दलों - राष्ट्रीय जनता दल और द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी डीएमके ने जहाँ कहा है कि भारत-अमरीका असैनिक परमाणु संधि देश के हित में है, वहीं वे ये भी कह रहे हैं कि वे चुनाव निकट होने की परिस्थिति में वामदलों को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
यूपीए के नेताओं - प्रणव मुखर्जी, शरद पवार, लालू प्रसाद यादव और करुणानिधि ने वामपंथी नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं। ये नेता अलग से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले हैं।
ग़ौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) पहले ही सरकार के समर्थन वापस ले चुकी है। चाहे सरकार को इससे तत्काल कोई ख़तरा नहीं है लेकिन वामदलों की धमकी को देखते हुए यूपीए सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
यूपीए को समर्थन पर समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं
उधर हाल में कांग्रेस के क़रीब आई समाजवादी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
मुलायम का रुख़
समाजवादी पार्टी नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि वे संयुक्त राष्ट्रीय प्रगतिशील गठबंधन (यूएनपीए) के नेताओं से तीन जुलाई के बातचीत करेंगे और फिर ही भारत-अमरीका परमाणु समझौते पर कोई आख़िरी फ़ैसला करेंगे।
यूएनपीए में समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, इंडियन नेशनल लोकदल और असम गण परिषद शामिल है। कुछ अन्य दल भी पहले इस गठबंधन में शामिल थे लेकिन अब वे यूएनपीए के साथ हैं या नहीं इस पर उनका रुख़ स्पष्ट नहीं है।
समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह कह चुके हैं कि उनकी रातों-रात इस मुद्दे पर अपना रुख़ बदल नहीं सकती क्योंकि सरकार ने ऐसे कोई नए तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं जिनके कारण पार्टी परिवर्तन करना ज़रूरी समझे।
No comments:
Post a Comment