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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उड़ीसा सरकार से कहा है कि वह कंधमाल जिले में ईसाई-विरोधी हिंसा में क्षतिग्रस्त चर्चो के पुनर्निर्माण की दिशा में कदम उठाए। हालांकि कोर्ट ने जिले में 25 अगस्त को एक नन के साथ हुए कथित दुष्कर्म के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा, ‘हम नहीं मानते कि इस वक्त मामले की जांच राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपना पीड़ित और न्याय के हित में होगा।’
कोर्ट ने कहा कि पीड़ित नन को स्वयं और न्याय के हित में पुलिस के साथ सहयोग करना चाहिए। गौरतलब है कि नन ने पुलिस के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया था। कटक के आर्कबिशप ने अपनी याचिका में दुष्कर्म मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी।
उड़ीसा में हिंसा के दौरान चर्चे को पहुंची क्षति के मुआवजे के बारे में बेंच ने उड़ीसा सरकार को नुकसान का आकलन करने और चर्चे के पुनर्निर्माण में मदद देने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्टे द्वारा होनी चाहिए। बेंच ने राज्य के हिंसा ग्रस्त इलाकों में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को दिसंबर के अंत तक वहीं तैनात रखने का भी निर्देश दिया।
नन जांच में करेगी सहयोग : भुवनेश्वर में आर्कबिशप हाउस की ओर से कहा गया कि ईसाई समुदाय शीर्ष कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करेगा। फादर जोसेफ कालाथिल ने कहा कि पीड़ित नन उड़ीसा पुलिस की जांच में जरूर सहयोग करेगी।
English Translation
NEW DELHI: The Supreme Court on Wednesday refused to order a CBI probe into the nun's rape case and asked as to why the victim was not participating in the test identification parade of the accused to nail the culprit despite having stated that she can identify the perpetrators.
"If you do not cooperate with the police in investigating the case and finding out the truth, there is little this court can do," the court told Archbishop Raphael Cheenath, who was virtually pleading on her behalf to say the victim had no faith in the state police.
Except for refusing CBI probe into the rape case, the SC gave a slew of directions to the Naveen Patnaik government, all aimed at bringing back normalcy in the riot-hit areas and giving protection to the Christian community, which expressed apprehension of being targeted again during the coming Christmas festivities.
Brushing aside the Centre's reservations, a Bench comprising Chief Justice K G Balakrishnan and Justices P Sathasivam and J M Panchal ordered all the additional central paramiliatary forces, which were rushed to the state when rioting was at its peak, to remain stationed there till December-end.
It also asked the state government to immediately pay compensation to the victims, give sufficient protection to all relief and rehabilitation workers, including those from Christian NGOs, working to provide succor to victims in relief camps in Kandhmal district and adjoining areas.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उड़ीसा सरकार से कहा है कि वह कंधमाल जिले में ईसाई-विरोधी हिंसा में क्षतिग्रस्त चर्चो के पुनर्निर्माण की दिशा में कदम उठाए। हालांकि कोर्ट ने जिले में 25 अगस्त को एक नन के साथ हुए कथित दुष्कर्म के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस केजी बालकृष्णन के नेतृत्व वाली बेंच ने कहा, ‘हम नहीं मानते कि इस वक्त मामले की जांच राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपना पीड़ित और न्याय के हित में होगा।’
कोर्ट ने कहा कि पीड़ित नन को स्वयं और न्याय के हित में पुलिस के साथ सहयोग करना चाहिए। गौरतलब है कि नन ने पुलिस के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया था। कटक के आर्कबिशप ने अपनी याचिका में दुष्कर्म मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की थी।
उड़ीसा में हिंसा के दौरान चर्चे को पहुंची क्षति के मुआवजे के बारे में बेंच ने उड़ीसा सरकार को नुकसान का आकलन करने और चर्चे के पुनर्निर्माण में मदद देने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्टे द्वारा होनी चाहिए। बेंच ने राज्य के हिंसा ग्रस्त इलाकों में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को दिसंबर के अंत तक वहीं तैनात रखने का भी निर्देश दिया।
नन जांच में करेगी सहयोग : भुवनेश्वर में आर्कबिशप हाउस की ओर से कहा गया कि ईसाई समुदाय शीर्ष कोर्ट के निर्णय को स्वीकार करेगा। फादर जोसेफ कालाथिल ने कहा कि पीड़ित नन उड़ीसा पुलिस की जांच में जरूर सहयोग करेगी।
English Translation
NEW DELHI: The Supreme Court on Wednesday refused to order a CBI probe into the nun's rape case and asked as to why the victim was not participating in the test identification parade of the accused to nail the culprit despite having stated that she can identify the perpetrators.
"If you do not cooperate with the police in investigating the case and finding out the truth, there is little this court can do," the court told Archbishop Raphael Cheenath, who was virtually pleading on her behalf to say the victim had no faith in the state police.
Except for refusing CBI probe into the rape case, the SC gave a slew of directions to the Naveen Patnaik government, all aimed at bringing back normalcy in the riot-hit areas and giving protection to the Christian community, which expressed apprehension of being targeted again during the coming Christmas festivities.
Brushing aside the Centre's reservations, a Bench comprising Chief Justice K G Balakrishnan and Justices P Sathasivam and J M Panchal ordered all the additional central paramiliatary forces, which were rushed to the state when rioting was at its peak, to remain stationed there till December-end.
It also asked the state government to immediately pay compensation to the victims, give sufficient protection to all relief and rehabilitation workers, including those from Christian NGOs, working to provide succor to victims in relief camps in Kandhmal district and adjoining areas.
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