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नई दिल्ली. उम्मीद जताई जा रही है कि 3जी टेलीकॉम बोली प्रक्रिया से पहले मोबाइल वचरुअल नेटवर्क ऑपरेटर (एमवीएनओ) पॉलिसी आ जाएगी। 3जी बोली प्रक्रिया 15 जनवरी को प्रस्तावित है, जबकि एमवीएनओ पॉलिसी पांच जनवरी तक आने की उम्मीद है। इससे भारत में मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों में कुछ और नए नाम शुमार हो जाएंगे, जिससे कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
स्पेक्ट्रम आवंटन के मसले पर अटकलों पर विराम लगाते हुए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डॉट) ने साफ कर दिया कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल होने वाली कंपनियां 2जी स्पेक्ट्रम पाने के लिए भी योग्य होंगी। मंगलवार को 3जी और बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम की प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के दौरान टेलीकॉम कमीशन के सदस्य (फाइनेंस) आर. अशोक ने कहा कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल होने वाले 2जी स्पेक्ट्रम पाने के लिए भी योग्य होंगे। 3जी स्पेक्ट्रम के लिए 15 जनवरी को बोली लगाई जाएगी। इससे पहले काफी समय से इस बात को लेकर संदेह था कि क्या 3जी बोली प्रक्रिया में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम मिलेगा या नहीं। लेकिन, मंगलवार को टेलीकॉम कमीशन ने यह साफ कर दिया कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल साबित होने वाली कंपनियां 2जी स्पेक्ट्रम के लिए योग्य होंगी।
डॉट के एक अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम की उपलब्धता ही बहुत बड़ा सवाल है। ऐसे हालात में डॉट फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम सभी कंपनियों को नहीं देगी। आने वाले समय में स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के हिसाब से इस बात पर निर्णय किया जाएगा कि किसे कितना स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाए। उन्होंने बताया कि फिलहाल डॉट 2जी स्पेक्ट्रम को लेकर कोई तैयारी नहीं कर रही है। वहीं, दूरसंचार क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक तकनीकी रूप से 3जी बोली प्रक्रिया में सफल साबित होने वाली कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम दिया जाना चाहिए। लेकिन, भारत में तो मौजूदा टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं की जरूरतें ही पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में नई कंपनियों को फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम दे पाना डॉट के लिए बेहद मुश्किल होगा। मंगलवार को हुई 3जी प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में कई कंपनियों ने भाग लिया।
पहले आएगी एमवीएनओ पॉलिसी 3जी प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के दौरान डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डॉट) के संयुक्त सचिव जे। एस. दीपक ने बताया कि हमें उम्मीद है कि पांच जनवरी से पहले हम एमवीएनओ पॉलिसी ले आएंगे। पांच जनवरी 3जी स्पेक्ट्रम के आवेदन की अंतिम तिथि है। इसलिए डॉट पांच जनवरी से पहले एमवीएनओ पॉलिसी लाना चाहता है। उन्होंने बताया कि डॉट की एक सब कमेटी इस पूरे मामले में काम कर रही है। एमवीएनओ के पास स्पेक्ट्रम नहीं होता है और यह विभिन्न समझौतों के तहत मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों (एमएनओ) के साथ काम करते हैं।
English Translation
NEW DELHI: The department of telecom has decided to offer 2G spectrum to 3G winners on a first-come-first-served basis. The announcement was made at a 3G investors conference here on Tuesday held to answer questions from prospective investors and bidders for 3G spectrum and WiMax.
In August, telecom minister A Raja had announced that universal access service licenses (UASL) for 3G winners will not be accompanied by 2G spectrum. Potential investors had objected as it meant new bidders would pay Rs 1,651 crore for a license but not be given the 4.4 MHz of startup spectrum that has accompanied licenses granted so far including to the 120 companies, who signed LoIs in January 2008. Existing operators like Bharti, Idea, Vodafone, Tata, RIL and Unitech, Datacomm, Swan, Loop and Shyam amongst new entrants as well as equipment providers with varied interests in WiMax such as Qualcomm and HP and consultants like PWC, E&Y, BDA and Deloitte attended the investors conference.
Reliance and Swan requested the government to consider a longer period between the investor conference and the actual bidding. NM Rothschild and Dotecon answered questions relating to the process of the 3G auctions while DoT received questions on policy, technology and future spectrum availability. The ISPs expressed their displeasure over the manner in which they were being forced to surrender spectrum in the 2.3 / 2.5 MHz band in spite of the fact that they had made investments and expected customers to come on. Similarly, the CDMA lobby was unhappy about the route to EVDO.
India's 3G auctions will be different from the one held in 2001, which was purely based on circle values, and controlled by the bidder. Here, for 3G auctions, it will be more the Sotheby style reverse auction where the auctioneer will play an important role in moving the auction along. Large national operators aim to score over regional or circle operators. DoT clarified that the rollout obligations for 3G would be for five years but the lock in on M&A would last three years.
नई दिल्ली. उम्मीद जताई जा रही है कि 3जी टेलीकॉम बोली प्रक्रिया से पहले मोबाइल वचरुअल नेटवर्क ऑपरेटर (एमवीएनओ) पॉलिसी आ जाएगी। 3जी बोली प्रक्रिया 15 जनवरी को प्रस्तावित है, जबकि एमवीएनओ पॉलिसी पांच जनवरी तक आने की उम्मीद है। इससे भारत में मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों में कुछ और नए नाम शुमार हो जाएंगे, जिससे कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
स्पेक्ट्रम आवंटन के मसले पर अटकलों पर विराम लगाते हुए डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डॉट) ने साफ कर दिया कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल होने वाली कंपनियां 2जी स्पेक्ट्रम पाने के लिए भी योग्य होंगी। मंगलवार को 3जी और बीडब्ल्यूए स्पेक्ट्रम की प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के दौरान टेलीकॉम कमीशन के सदस्य (फाइनेंस) आर. अशोक ने कहा कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल होने वाले 2जी स्पेक्ट्रम पाने के लिए भी योग्य होंगे। 3जी स्पेक्ट्रम के लिए 15 जनवरी को बोली लगाई जाएगी। इससे पहले काफी समय से इस बात को लेकर संदेह था कि क्या 3जी बोली प्रक्रिया में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम मिलेगा या नहीं। लेकिन, मंगलवार को टेलीकॉम कमीशन ने यह साफ कर दिया कि 3जी बोली प्रक्रिया में सफल साबित होने वाली कंपनियां 2जी स्पेक्ट्रम के लिए योग्य होंगी।
डॉट के एक अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम की उपलब्धता ही बहुत बड़ा सवाल है। ऐसे हालात में डॉट फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम सभी कंपनियों को नहीं देगी। आने वाले समय में स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के हिसाब से इस बात पर निर्णय किया जाएगा कि किसे कितना स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाए। उन्होंने बताया कि फिलहाल डॉट 2जी स्पेक्ट्रम को लेकर कोई तैयारी नहीं कर रही है। वहीं, दूरसंचार क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक तकनीकी रूप से 3जी बोली प्रक्रिया में सफल साबित होने वाली कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम दिया जाना चाहिए। लेकिन, भारत में तो मौजूदा टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं की जरूरतें ही पूरी नहीं हो पा रही हैं। ऐसे में नई कंपनियों को फिलहाल 2जी स्पेक्ट्रम दे पाना डॉट के लिए बेहद मुश्किल होगा। मंगलवार को हुई 3जी प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में कई कंपनियों ने भाग लिया।
पहले आएगी एमवीएनओ पॉलिसी 3जी प्री-बिड कॉन्फ्रेंस के दौरान डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डॉट) के संयुक्त सचिव जे। एस. दीपक ने बताया कि हमें उम्मीद है कि पांच जनवरी से पहले हम एमवीएनओ पॉलिसी ले आएंगे। पांच जनवरी 3जी स्पेक्ट्रम के आवेदन की अंतिम तिथि है। इसलिए डॉट पांच जनवरी से पहले एमवीएनओ पॉलिसी लाना चाहता है। उन्होंने बताया कि डॉट की एक सब कमेटी इस पूरे मामले में काम कर रही है। एमवीएनओ के पास स्पेक्ट्रम नहीं होता है और यह विभिन्न समझौतों के तहत मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों (एमएनओ) के साथ काम करते हैं।
English Translation
NEW DELHI: The department of telecom has decided to offer 2G spectrum to 3G winners on a first-come-first-served basis. The announcement was made at a 3G investors conference here on Tuesday held to answer questions from prospective investors and bidders for 3G spectrum and WiMax.
In August, telecom minister A Raja had announced that universal access service licenses (UASL) for 3G winners will not be accompanied by 2G spectrum. Potential investors had objected as it meant new bidders would pay Rs 1,651 crore for a license but not be given the 4.4 MHz of startup spectrum that has accompanied licenses granted so far including to the 120 companies, who signed LoIs in January 2008. Existing operators like Bharti, Idea, Vodafone, Tata, RIL and Unitech, Datacomm, Swan, Loop and Shyam amongst new entrants as well as equipment providers with varied interests in WiMax such as Qualcomm and HP and consultants like PWC, E&Y, BDA and Deloitte attended the investors conference.
Reliance and Swan requested the government to consider a longer period between the investor conference and the actual bidding. NM Rothschild and Dotecon answered questions relating to the process of the 3G auctions while DoT received questions on policy, technology and future spectrum availability. The ISPs expressed their displeasure over the manner in which they were being forced to surrender spectrum in the 2.3 / 2.5 MHz band in spite of the fact that they had made investments and expected customers to come on. Similarly, the CDMA lobby was unhappy about the route to EVDO.
India's 3G auctions will be different from the one held in 2001, which was purely based on circle values, and controlled by the bidder. Here, for 3G auctions, it will be more the Sotheby style reverse auction where the auctioneer will play an important role in moving the auction along. Large national operators aim to score over regional or circle operators. DoT clarified that the rollout obligations for 3G would be for five years but the lock in on M&A would last three years.
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