Wednesday, January 14, 2009

सत्यम केस की जांच अच्छे तरीके से होगी - जनवरी 14, 2009

हिन्दी रूपांतरण:
सत्यम घोटाले की जांच का जिम्मा सरकार ने सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) को सौंप दिया है, जो गंभीर आर्थिक अपराधों की जांच करता है।

कंपनी मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता ने यहां पत्रकारों से कहा कि एसएफआईओ तीन माह में जांच पूरी करके सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। इस मामले की शुरुआती जांच कर रहे रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी, हैदराबाद) की सिफारिश के बाद केस एसएफआईओ को सौंपा गया है। एसएफआईओ इस केस में डाइरेक्टरों, प्रमोटरों आदि की भूमिका के सभी पहलुओं को देखेगा।

ऑडिटरों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? इस पर प्रेमचंद गुप्ता ने कहा कि इस बारे में इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउटंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की अपनी प्रक्रिया है। गौरतलब है कि आईसीएआई ने मंगलवार को छह सदस्यों की विशेष कमिटी गठित कर दी। यह कमिटी 11 फरवरी तक रिपोर्ट सौंपेगी। इस बीच सत्यम के खातों की ऑडिटिंग करने वाली फर्म प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के हैदराबाद स्थित दफ्तर पर आंध्र प्रदेश पुलिस ने छापा मारा।

सत्यम केस की जांच प्रक्रिया और वित्तीय सहायता को लेकर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन ने मंगलवार को सीनियर कैबिनेट मंत्रियों और अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक की। बैठक में गृह मंत्री पी. चिदंबरम, वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ, कंपनी मामलों के मंत्री प्रेमचंद गुप्ता के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया उपस्थित थे।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में राय बनी कि जांच प्रक्रिया को तेज किया जाए और कंपनी के वित्तीय घोटाले के ब्यौरे का इंतजार किया जाए। नए ऑडिटर के जरिये कंपनी के पास कुल नकदी और बैंक बैलेंस के बारे में सारी जानकारी मालूम हो जाने के बाद ही कंपनी को वित्तीय सहायता के बारे में फैसला किया जाए। कंपनी के 10 सदस्यीय बोर्ड और नए सीईओ की नियुक्ति की जाए। कंपनी की देनदारी और लेनदारी मामले का जिम्मा नए मैनिजमंट को सौंपा जाए। कर्मचारियों की सैलरी के मामले में जल्द ही नए बोर्ड के सदस्यों से बात की जाएगी। कंपनी को छोटी अवधि के लिए लोन दिलाए जाने के विकल्प पर भी चर्चा हुई।

English Translation:

The government has moved well to avert a further crisis in Satyam Computer Services Ltd. In deciding to do away with the old board and getting three respected professionals—Deepak Parekh, Kiran Karnik and C. Achuthan—to oversee the troubled company, the government has averted a further crisis of confidence.

The next step, too, is welcome. Commerce and industry minister Kamal Nath has suggested that money will be provided to the company that still has good clients and a qualified workforce. It’s best that a consortium of banks gives a short-term line of credit to help Satyam tide over its current liquidity problems, rather than put taxpayer money on the table.

But the next steps have to be taken more carefully. There is a chance that Satyam could now be the victim of political overreach, as state and national politicians start meddling with longer-term strategic issues—including the question of ownership. These are questions that are best left to the new board—which should decide how to run Satyam or sell it.

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