हिन्दी रूपांतरण:
मुस्लिम जगत के साथ आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित नई भागीदारी शुरू करने का प्रण करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इस्लामी राष्ट्रों को अमेरिका को अपना दुश्मन नहीं मानना चाहिए।
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद एक टीवी चैनल को दिए अपने पहले साक्षात्कार में ओबामा ने उस मुस्लिम जगत के लिए खुद को विन्रम और मैत्रीपूर्ण चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की, जहाँ अमेरिका के प्रति नाराजगी और बैर का भाव है।
ओबामा ने दुबई स्थित अल अरेबिया टीवी नेटवर्क से कहा कि मेरे परिवार में मुस्लिम सदस्य हैं। मैं मुस्लिम देशों में रहा हूँ। मुस्लिम जगत के लिए मेरा काम यह संप्रेषित करना है कि अमेरिकी आपके दुश्मन नहीं हैं। इस साक्षात्कार को अमेरिका का मुख्यधारा वाला मीडिया ओबामा की कूटनीति के तौर पर देख रहा है।
ओबामा ने कहा कि मैंने जो कहा और मेरे विचार से हिलेरी क्लिंटन ने खुद के मनोनयन की पुष्टि के दौरान भी वह जाहिर किया, वह यह है कि अगर हम क्षेत्र की ओर देख रहे हैं और अरब तथा मुस्लिम जगत को यह संदेश दे रहे हैं कि हम आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित नई भागीदारी शुरू करने को तैयार हैं तो मेरे खयाल से हम महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।
इसराइल-फिलिस्तीन मसला हल करने के प्रति अपना दृढ़संकल्प प्रदर्शित करते हुए ओबामा ने कहा कि अमेरिका के लिए यह हुक्म चलाने की बजाय सुनने का समय है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में वह किसी इस्लामी राष्ट्र की राजधानी से मुस्लिम जगत को सीधे संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी के विचारों में दिवालियापन है।
ओबामा ने कहा कि उन्होंने (लादेन-जवाहिरी) ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे वे यह कह सकें कि मुस्लिम जगत में कोई बच्चा उनके कारण बेहतर शिक्षा हासिल कर पा रहा है या उनकी वहज से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि मेरे शपथ ग्रहण समारोह में दिए भाषण में मैंने इस बारे में बात की कि आपको इससे नहीं आँका जाएगा कि आपने क्या बर्बाद किया है बल्कि इससे आँका जाएगा कि आपने क्या बनाया है और वे (ओसामा और जवाहिरी) सिर्फ नुकसान पहुँचा रहे हैं। मेरे विचार से समय बीतने के साथ मुस्लिम जगत यह बात पहचानेगा कि उनका (दोनों आतंकवादियों का) रास्ता ज्यादा मौतों और विध्वंस के सिवा और कहीं नहीं ले जा रहा है।
ओबामा ने कहा कि अब मेरा काम इस तथ्य को सम्प्रेषित करना है कि अमेरिका मुस्लिम जगत की बेहतरी चाहता है और हम जिस भाषा का इस्तेमाल करें, वह सम्मान की भाषा होनी चाहिए।
इंडोनेशिया में बिताए दिनों के संदर्भ में ओबामा ने कहा कि मुस्लिम जगत की अपनी यात्रा के दौरान वे यह समझ पाए कि सभी लोगों के पास कुछ समान उम्मीदें और साझा सपने होते हैं, फिर चाहे उनकी आस्था किसी भी धर्म में हो।
उन्होंने कहा कि लिहाजा उनका काम अमेरिकी लोगों को यह संदेश देना है कि मुस्लिम जगत उन असाधारण लोगों से भरा पड़ा है, जो सिर्फ अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं और अपने बच्चों को बेहतर जिंदगी जीते देखना चाहते हैं।
यह स्वीकार करते हुए कि अमेरिका ने गलतियाँ की हैं, ओबामा ने कहा कि कुछ दशकों पहले मुस्लिम जगत के साथ रही भागीदारी और सम्मान को वह बहाल करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा हम कई बार गलतियाँ करते हैं। हम परिपूर्ण नहीं रहे हैं। अमेरिका एक औपनिवेशिक शक्ति के रूप में नहीं जन्मा था।
ओबामा ने स्वीकारा कि आखिरकार लोग उन्हें उनके शब्दों से नहीं बल्कि उनके तथा उनके प्रशासन के काम से आँकेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी कुछ वर्षों में आप एक ऐसे व्यक्ति को देखेंगे जो सुन रहा होगा, जो सम्मान देने वाला होगा जो न सिर्फ अमेरिका बल्कि उन आम लोगों के हितों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा होगा जो अभी गरीबी और अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं। मैं यह आश्वस्त कराना चाहता हूँ कि मैं उनसे भी बात कर रहा हूँ।
English Translation:
President Obama chose an Arabic satellite TV network for his first formal television interview as president, saying he wanted to persuade Muslims that "the Americans are not your enemy.
His remarks, broadcast Tuesday, signaled a shift -- in style and manner at least -- from the Bush administration, offering a dialogue with Iran and what he depicted as a new readiness to listen rather than dictate.
In a transcript published on Al-Arabiya's English language website, Obama said he believed "the most important thing is for the United States to get engaged right away" and that he had told his envoy to "start by listening, because all too often the United States starts by dictating."
He spoke at length about the United States' future relationship with the Muslim world, saying his "job is to communicate to the American people that the Muslim world is filled with extraordinary people who simply want to live their lives and see their children live better lives."
In contrast to the enthusiastic reception Obama's victory has garnered around the world, the Arab world has been much more cautious about the new U.S. president -- with most people skeptical that U.S. policy in the region will change.
Obama talked about growing up in Indonesia, the Muslim world's most populous nation, and noted that he has Muslim relatives. Obama's Kenyan father was born Muslim, though a self-described atheist, and many of his relatives in Kenya are practicing Muslims. As a child, Obama lived for a number of years in Indonesia while his mother as doing research there.
Obama spoke, too, about Iran. He criticized the country's threats against Israel and pursuit of nuclear weapons. But he said "it is important for us to be willing to talk to Iran, to express very clearly where our differences are, but where there are potential avenues for progress."
मुस्लिम जगत के साथ आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित नई भागीदारी शुरू करने का प्रण करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि इस्लामी राष्ट्रों को अमेरिका को अपना दुश्मन नहीं मानना चाहिए।
राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद एक टीवी चैनल को दिए अपने पहले साक्षात्कार में ओबामा ने उस मुस्लिम जगत के लिए खुद को विन्रम और मैत्रीपूर्ण चेहरे के रूप में पेश करने की कोशिश की, जहाँ अमेरिका के प्रति नाराजगी और बैर का भाव है।
ओबामा ने दुबई स्थित अल अरेबिया टीवी नेटवर्क से कहा कि मेरे परिवार में मुस्लिम सदस्य हैं। मैं मुस्लिम देशों में रहा हूँ। मुस्लिम जगत के लिए मेरा काम यह संप्रेषित करना है कि अमेरिकी आपके दुश्मन नहीं हैं। इस साक्षात्कार को अमेरिका का मुख्यधारा वाला मीडिया ओबामा की कूटनीति के तौर पर देख रहा है।
ओबामा ने कहा कि मैंने जो कहा और मेरे विचार से हिलेरी क्लिंटन ने खुद के मनोनयन की पुष्टि के दौरान भी वह जाहिर किया, वह यह है कि अगर हम क्षेत्र की ओर देख रहे हैं और अरब तथा मुस्लिम जगत को यह संदेश दे रहे हैं कि हम आपसी सम्मान और साझा हितों पर आधारित नई भागीदारी शुरू करने को तैयार हैं तो मेरे खयाल से हम महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।
इसराइल-फिलिस्तीन मसला हल करने के प्रति अपना दृढ़संकल्प प्रदर्शित करते हुए ओबामा ने कहा कि अमेरिका के लिए यह हुक्म चलाने की बजाय सुनने का समय है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अपने कार्यकाल के पहले 100 दिनों में वह किसी इस्लामी राष्ट्र की राजधानी से मुस्लिम जगत को सीधे संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा कि अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी के विचारों में दिवालियापन है।
ओबामा ने कहा कि उन्होंने (लादेन-जवाहिरी) ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे वे यह कह सकें कि मुस्लिम जगत में कोई बच्चा उनके कारण बेहतर शिक्षा हासिल कर पा रहा है या उनकी वहज से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि मेरे शपथ ग्रहण समारोह में दिए भाषण में मैंने इस बारे में बात की कि आपको इससे नहीं आँका जाएगा कि आपने क्या बर्बाद किया है बल्कि इससे आँका जाएगा कि आपने क्या बनाया है और वे (ओसामा और जवाहिरी) सिर्फ नुकसान पहुँचा रहे हैं। मेरे विचार से समय बीतने के साथ मुस्लिम जगत यह बात पहचानेगा कि उनका (दोनों आतंकवादियों का) रास्ता ज्यादा मौतों और विध्वंस के सिवा और कहीं नहीं ले जा रहा है।
ओबामा ने कहा कि अब मेरा काम इस तथ्य को सम्प्रेषित करना है कि अमेरिका मुस्लिम जगत की बेहतरी चाहता है और हम जिस भाषा का इस्तेमाल करें, वह सम्मान की भाषा होनी चाहिए।
इंडोनेशिया में बिताए दिनों के संदर्भ में ओबामा ने कहा कि मुस्लिम जगत की अपनी यात्रा के दौरान वे यह समझ पाए कि सभी लोगों के पास कुछ समान उम्मीदें और साझा सपने होते हैं, फिर चाहे उनकी आस्था किसी भी धर्म में हो।
उन्होंने कहा कि लिहाजा उनका काम अमेरिकी लोगों को यह संदेश देना है कि मुस्लिम जगत उन असाधारण लोगों से भरा पड़ा है, जो सिर्फ अपनी जिंदगी जीना चाहते हैं और अपने बच्चों को बेहतर जिंदगी जीते देखना चाहते हैं।
यह स्वीकार करते हुए कि अमेरिका ने गलतियाँ की हैं, ओबामा ने कहा कि कुछ दशकों पहले मुस्लिम जगत के साथ रही भागीदारी और सम्मान को वह बहाल करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा हम कई बार गलतियाँ करते हैं। हम परिपूर्ण नहीं रहे हैं। अमेरिका एक औपनिवेशिक शक्ति के रूप में नहीं जन्मा था।
ओबामा ने स्वीकारा कि आखिरकार लोग उन्हें उनके शब्दों से नहीं बल्कि उनके तथा उनके प्रशासन के काम से आँकेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी कुछ वर्षों में आप एक ऐसे व्यक्ति को देखेंगे जो सुन रहा होगा, जो सम्मान देने वाला होगा जो न सिर्फ अमेरिका बल्कि उन आम लोगों के हितों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा होगा जो अभी गरीबी और अवसरों की कमी से जूझ रहे हैं। मैं यह आश्वस्त कराना चाहता हूँ कि मैं उनसे भी बात कर रहा हूँ।
English Translation:
President Obama chose an Arabic satellite TV network for his first formal television interview as president, saying he wanted to persuade Muslims that "the Americans are not your enemy.
His remarks, broadcast Tuesday, signaled a shift -- in style and manner at least -- from the Bush administration, offering a dialogue with Iran and what he depicted as a new readiness to listen rather than dictate.
In a transcript published on Al-Arabiya's English language website, Obama said he believed "the most important thing is for the United States to get engaged right away" and that he had told his envoy to "start by listening, because all too often the United States starts by dictating."
He spoke at length about the United States' future relationship with the Muslim world, saying his "job is to communicate to the American people that the Muslim world is filled with extraordinary people who simply want to live their lives and see their children live better lives."
In contrast to the enthusiastic reception Obama's victory has garnered around the world, the Arab world has been much more cautious about the new U.S. president -- with most people skeptical that U.S. policy in the region will change.
Obama talked about growing up in Indonesia, the Muslim world's most populous nation, and noted that he has Muslim relatives. Obama's Kenyan father was born Muslim, though a self-described atheist, and many of his relatives in Kenya are practicing Muslims. As a child, Obama lived for a number of years in Indonesia while his mother as doing research there.
Obama spoke, too, about Iran. He criticized the country's threats against Israel and pursuit of nuclear weapons. But he said "it is important for us to be willing to talk to Iran, to express very clearly where our differences are, but where there are potential avenues for progress."
No comments:
Post a Comment