भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नवतेज सरना ने पत्रकारों से बातचीत में जानकारी दी कि 21 और 22 मई को लंदन में अमरीका के साथ तकनीकी स्तर की बातचीत हुई है ।
उनका कहना था,'' बातचीत के दौरान हमने कुछ मुद्दों को स्पष्ट किया है लेकिन अब भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सहमति बनाने की ज़रूरत है । ''
प्रवक्ता का कहना था कि दोनों पक्ष बातचीत जारी रखने के पक्षधर हैं ।
दूसरी ओर अमरीका के विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स ने वाशिंगटन में कहा कि परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने का 90 फ़ीसदी काम पूरा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि निकोलस बर्न्स इस समझौते के लिए अमरीका की ओर से प्रमुख वार्ताकार हैं ।
उन्होंने हेरीटेज फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में कहा,'' हमने बहुत प्रगति की है... 90 फ़ीसदी काम पूरा हो गया है । ''
बर्न्स ने कहा कि वो अगले एक दो सप्ताह में भारत का दौरा करेंगे और इस संबंध में बातचीत करेंगे ।
आशंका
दरअसल कुछ मसलों पर दोनों देशों के कठोर रुख के कारण समझौते को लेकर आशंका बनी हुई है ।
इससे पहले जॉर्ज बुश ने इस महीने की शुरुआत में मनमोहन सिंह से टेलीफ़ोन पर बातचीत की थी।
वाशिंगटन में भारतीय विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और निकोलस बर्न्स के बीच बातचीत भी हुई थी ।
बैठक में दोनों ने मई के अंत में मिलने पर रज़ामंदी जताई थी लेकिन अभी तक बातचीत की तारीख़ तय नहीं हो पाई है ।
बर्न्स विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के साथ समझौते से जुड़े कुछ मसलों पर बातचीत के लिए भारत आने वाले हैं ।
ग़ौरतलब है कि अगले महीने जर्मनी में जी-8 देशों की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मुलाक़ात अमरीकी राष्ट्रपति बुश से होगी और तब शायद परमाणु समझौते की प्रगति पर चर्चा होगी ।
भारत में ये मुद्दा जब तब संसद में उठता रहता है और सरकार को विपक्ष और अन्य सहयोगी देशों को बार-बार आश्वस्त करना पड़ता है कि सरकार देशहित और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं करेगी ।
दूसरी ओर अमरीकी संसद के कुछ सदस्य इस समझौते से सहमत नहीं हैं और वे इस पर सवाल उठाते रहते हैं ।
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