राजस्थान में गूजर समुदाय के लोगों पर पुलिस गोलीबारी के बाद कई ज़िलों में तनाव है। बूंदी और दौसा में सेना फ़्लैग मार्च कर रही है ।
पुलिस और गूजर समुदाय के बीच मंगलवार को हुए संघर्ष में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और अनेक लोग घायल हुए हैं ।
मारे गए लोगों में 12 आम नागरिक हैं और दो पुलिसकर्मी हैं। लोगों की मौत पुलिस फ़ायरिंग से हुई ।
पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल गूजर समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने की माँग कर रहा है ।
इस बीच बूंदी के पाटोली और पीपलखेड़ा में भारी संख्या में लोग पुलिस फ़ायरिंग में मारे गए छह लोगों के शवों के साथ सड़क पर धरना दे रहे हैं ।
उनका कहना है कि जब तक सरकार सीधे उनसे बात नहीं करती तब तक मारे गए लोगों का दाह संस्कार नहीं किया जाएगा ।
गूजर संगठनों ने बुधवार को भीलवाड़ा ज़िले में बंद का आह्वान किया है ।
तनाव
बुधवार को भी राज्य के कई हिस्सों में तनाव कायम है। उत्तर प्रदेश से सटे भरतपुर में ख़ुद पुलसकर्मी एहतिआती तौर पर वाहनों को रोक रहे हैं और उन्हें आगे नहीं जाने की सलाह दे रहे हैं ।
इसके लिए कई जगहों पर पेड़ गिराकर सड़क मार्ग अवरूद्ध किया गया है ।
इस बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया की अध्यक्षता में मंगलवार रात राज्य कैबिनेट की आपात बैठक हुई ।
बैठक के बाद सरकार ने जो कुछ कहा कि उसमें सांत्वना कम तल्ख़ी ज़्यादा झलक रही थी। राज्य सरकार का कहना है कि जो लोग शांति भंग करने की कोशिश करेंगे उन्हें बख़्शा नहीं जाएगा ।
इस घटना के बाद राज्य में कई स्थानों पर स्थिति गंभीर हो गई है और इसके मद्देनज़र सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा रही है ।
सरकार निशाने पर
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस मामले पर अपनी ही पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) के कुछ नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
गूजर महासभा के अध्यक्ष और भाजपा नेता रामगोपाल ने पूरी घटना के लिए राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए एक मंत्री से इस्तीफ़े की माँग की है ।
गूजर समुदाय के एक अन्य नेता और कांग्रेस सांसद अवतार सिंह भड़ाना ने आशंका व्यक्त की है कि अगर राज्य सरकार ने लोगों की माँगों पर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है ।
उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी माँग की है ।
भड़ाना का कहना है, "वसुंधरा सरकार ने आश्वस्त किया था कि गूजरों को आरक्षण दिया जाएगा। अब राज्य सरकार को आरक्षण की सिफ़ारिश करने में क्या दिक्कत है । "
टकराव की आशंका
गूजर बहुल इलाक़ों में आरक्षण का मामला अब संगठित आंदोलन का स्वरूप अख़्तियार कर रहा है।
सरकार और आंदोलनकारियों की भाषा में कोई ख़ास फ़र्क नहीं दिखाई दे रहा है और दोनों अपने अपने रूख़ पर कायम हैं ।
इस बीच अनुसूचित जनजाति में शामिल मीणा समुदाय की भी अगले कुछ दिनों में बैठक होने वाली है और वे भी संगठित हो रहे हैं ।
ऐसे में जातीय टकराव की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है ।
Wednesday, May 30, 2007
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