एक प्रमुख एड्स कार्यकर्ता का कहना है कि भारत में एचआईवी और एड्स पीड़ितों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है ।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में एचआईवी और एड्स से पीड़ित लोगों की संख्या 57 लाख है जो दुनिया में किसी भी देश में सबसे ज़्यादा है ।
लेकिन एड्स विरोधी संस्था 'आव्हान' के निदेशक अशोक अलेक्ज़ेडर का कहना है कि ताज़ा आँकड़ों में यह संख्या बहुत कम हो सकती है ।
सूचना मिली है कि यह संख्या 30 लाख तक हो सकती है ।
उल्लेखनीय है कि 'आव्हान' भारत में 'बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन' की इकाई है ।
बेहतर विधि
विशेषज्ञों का कहना है कि 57 लाख और 30 लाख का अंतर तो सिर्फ़ एचआईवी संक्रमित लोगों का हिसाब लगाने के तरीक़े में हुई ग़लती से ही आ सकता है ।
यह बात ऐसे समय में सामने आ रही है जब भारत में एड्स और एचआईवी के ख़िलाफ़ नया अभियान छेड़ने की तैयारियाँ की जा रही हैं।
इसके लिए सरकार और अंतरराष्ट्रीय दानदाता ने धनराशि बढ़ा दी है ।
समाचार एजेंसी एपी ने 'आव्हान' संस्था के निदेशक अशोक अलेक्ज़ेंडर के हवाले से कहा है, "जो आँकड़े हमें मिले हैं वे कम हैं और शायद बहुत कम हैं । "
अशोक अलेक्ज़ेंडर का कहना है कि नए आँकड़े ज़्यादा विश्वसनीय होंगे क्योंकि वे प्रसव केंद्रों, संक्रमण का सबसे अधिक ख़तरा झेलने वाले समूहों और सरकार के नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे से हासिल किए गए हैं ।
उनका कहना है कि यह आँकड़ा एकत्रित करने का ज़्यादा अच्छा तरीक़ा है जबकि पिछली बार सिर्फ़ प्रसव केंद्रों या प्रसूति गृहों के आँकड़ों को आधार बनाया गया था ।
उन्होंने आँकड़ों के बारे में कोई अनुमान लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अभी भी आँकड़ों का आकलन किया जा रहा है और अंतिम आँकड़ा मिलने में अभी कुछ हफ़्तों का समय लगेगा ।
समाचार एजेंसी एपी ने 'आव्हान' संस्था के निदेशक अशोक अलेक्ज़ेंडर के हवाले से कहा है, "जो आँकड़े हमें मिले हैं वे कम हैं और शायद बहुत कम हैं । "
अशोक अलेक्ज़ेंडर का कहना है कि नए आँकड़े ज़्यादा विश्वसनीय होंगे क्योंकि वे प्रसव केंद्रों, संक्रमण का सबसे अधिक ख़तरा झेलने वाले समूहों और सरकार के नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे से हासिल किए गए हैं ।
उनका कहना है कि यह आँकड़ा एकत्रित करने का ज़्यादा अच्छा तरीक़ा है जबकि पिछली बार सिर्फ़ प्रसव केंद्रों या प्रसूति गृहों के आँकड़ों को आधार बनाया गया था ।
उन्होंने आँकड़ों के बारे में कोई अनुमान लगाने से इनकार करते हुए कहा कि अभी भी आँकड़ों का आकलन किया जा रहा है और अंतिम आँकड़ा मिलने में अभी कुछ हफ़्तों का समय लगेगा ।
चिंता
हांलांकि पिछले ही हफ़्ते भारत के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा था कि वे बिहार और उत्तर प्रदेश में एचआईवी या एड्स से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी से चिंतित हैं ।
ये दोनों ही देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक हैं ।
अधिकारियों का कहना है कि जो लोग काम की तलाश में राज्य से बाहर जाते हैं वही राज्य में संक्रमण के साथ लौटते हैं ।
अधिकारियों का कहना है कि यदि राज्य की सरकारें इसे लेकर गंभीरता नहीं बरतती हैं तो एड्स महामारी का रुप ले सकती है ।
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