इससे पहले पुलिस ने डॉक्टर हनीफ़ की हिरासत अवधि को बढ़ाने संबंधी अर्ज़ी वापस ले ली थी।
शुक्रवार को भारतीय डॉक्टर हनीफ़ की हिरासत अवधि पर अदालत यह फ़ैसला लेने वाली थी कि उनकी पुलिस हिरासत की समयावधि को और बढ़ाया जाए या नहीं।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मूल के डॉक्टर हनीफ़ को उस वक्त हिरासत में ले लिया गया था जब वो अब से 11 दिन पहले ऑस्ट्रेलिया से भारत आने की कोशिश कर रहे थे।
हालांकि पिछले एक सप्ताह के दौरान उनसे कोई पूछताछ भी नहीं की गई थी।
डॉक्टर हनीफ़ को आतंकवाद निरोधक क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था।
मोबाइल चिप
डॉक्टर हनीफ़ को शनिवार को सुबह सात बजे एक न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया और उनके ख़िलाफ़ नए 'आतंक निरोधक क़ानून' के तहत आरोप तय किए गए हैं।
अधिकारियों ने आरोप पत्र में कहा है कि डॉक्टर हनीफ़ ने अपने चचेरे भाइयों सबील और कफ़ील अहमद को मोबाइल फ़ोन के सिम कार्ड उपलब्ध करवाए और एक आतंकवादी संगठन का सहयोग किया।
सबील और कफ़ील अहमद को ब्रिटेन में गिरफ़्तार किया गया था और इस समय वे पुलिस हिरासत में हैं।
यदि यह आरोप साबित भी हो जाता है तो डॉक्टर हनीफ़ को अधिकतम 25 साल की सज़ा मिल सकती है।
डॉक्टर हनीफ़ के वकील उनकी ज़मानत के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में हैं।
27 वर्षीय डॉक्टर हनीफ़ पिछले सितंबर में ऑस्ट्रेलिया आए थे और यहाँ क्वींसलैंज के गोल्ड कोल्ट अस्पताल में कार्यरत थे।
इससे पहले उन्होंने लंदन के नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए काम किया था।
रिहाई
उधर ब्रिटेन में इन विफल हमलों के सिलसिले में हिरासत में लिए गए सात लोगों में से एक को रिहा कर दिया गया है।
रिहा की गई महिला का नाम मारवा अशा है जो कि जॉर्डन के एक डॉक्टर मोहम्मद अशा की पत्नी हैं।
इन विफल हमलों के संबंध में ब्रिटेन में गिरफ़्तार कुल सात लोगों में ये पति-पत्नी भी शामिल थे। डॉक्टर मोहम्मद अशा अभी भी हिरासत में हैं।
लंदन और ग्लासगो में विफल हमलों की साजिश रचने के आरोप में कुल आठ संदिग्ध लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी। इनमें से सात संदिग्ध ब्रिटेन में गिरफ़्तार हुए थे जबकि एक अन्य ऑस्ट्रेलिया में।
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