ग़ौरतलब है कि सोमवार को मजिस्ट्रेट ने डॉक्टर हनीफ़ को ज़मानत दे दी थी और उन्हें रिहा किया जाना था।
आव्रजन मंत्री केल्विन एंड्र्यू ने कैनबरा में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्होंने मोहम्मद हनीफ़ का वीज़ा अपराधियों से संबंध के संदेह में रद्द कर दिया है।
उनका कहना था,'' मुझे लगता है कि उनके संबंध अपराधों में लिप्त जैसे ब्रिटेन में आतंकवाद से जुड़े लोगों से थे।''
केल्विन एंड्र्यू का कहना था कि वो वीज़ा रद्द करने से संतुष्ट हैं क्योंकि यह देशहित में है।
उनका कहना था कि ज़मानत मिलने के बाद हनीफ़ को आव्रजन बंदीगृह में ले जाया जाएगा।
ज़मानत
इसके पहले ब्रिटेन में विफल बम धमाकों के सिलसिले में हिरासत में लिए गए मोहम्मद हनीफ़ को ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने ज़मानत दे दी थी।
ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने आरोप पत्र में कहा था कि डॉक्टर हनीफ़ ने अपने चचेरे भाइयों सबील और कफ़ील अहमद को मोबाइल फ़ोन के सिम कार्ड उपलब्ध करवाए और एक ‘आतंकवादी संगठन’ का सहयोग किया।
लेकिन मजिस्ट्रेट ने ‘लापरवाही’ के कारण चरमपंथी संगठन का सहयोग देने का मामला मानते हुए उन्हें ज़मानत दे दी।
न्यायाधीश का कहना था कि अभियोजन पक्ष डॉक्टर हनीफ़ का किसी चरमपंथी संगठन से सीधा संबंध साबित करने में असफल रहा है।
अभियोजन पक्ष ने हनीफ़ की ज़मानत का विरोध किया और उन्हें हिरासत में रखने की वकालत की।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के आतंकवाद विरोधी क़ानून का हवाला दिया जिसमें विशेष परिस्थितियों में ही ज़मानत देने की व्यवस्था है।
लेकिन हनीफ़ के वकील का कहना था कि उनके ख़िलाफ़ मामला ‘बेहद कमज़ोर’ है। हनीफ़ को 10 हज़ार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की राशि जमा करने पर ज़मानत दी गई थी।
हिरासत
ग़ौरतलब है कि भारतीय मूल के डॉक्टर हनीफ़ को दो जुलाई को उस वक्त हिरासत में ले लिया गया था जब वो ऑस्ट्रेलिया से भारत आने की कोशिश कर रहे थे।
27 वर्षीय डॉक्टर हनीफ़ पिछले सितंबर में ऑस्ट्रेलिया आए थे और यहाँ क्वींसलैंज के गोल्ड कोल्ट अस्पताल में कार्यरत थे।
इससे पहले उन्होंने लंदन के नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए काम किया था।
लंदन और ग्लासगो में विफल हमलों की साजिश रचने के आरोप में कुल आठ संदिग्ध लोगों की गिरफ़्तारी हुई थी।
इनमें से सात संदिग्ध ब्रिटेन में गिरफ़्तार हुए जबकि मोहम्मद हनीफ़ को ऑस्ट्रेलिया में गिरफ़्तार किया गया था।
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