Saturday, July 21, 2007

परमाणु समझौते पर 'ठोस प्रगति'

भारत और अमरीका ने पिछले दो साल में कई अलग-अलग दौर से गुज़र चुके परमाणु समझौते के लागू होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा दिया है।
शुक्रवार की दोपहर चार दिनों तक चली बातचीत के बाद अमरीकी विदेश उपमंत्री निकोलस बर्न्स और भारतीय विदेश सचिव ने 123 समझौते में "ठोस प्रगति पर संतोष जाहिर किया"।
दोनों ओर से जारी एक साझा बयान में कहा गया है कि अब ये प्रस्ताव दोनों सरकारों के पास अंतिम सहमति के लिए जाएगा।
बयान में कहा गया है, "दोनों ही पक्ष इस समझौते के जो बचे हुए पहलू हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा होता हुआ देखना चाहेंगे और इस ऐतिहासिक समझौते को पूरा होता देखना चाहेंगे।’’
दोनों ही पक्ष इस समझौते के जो बचे हुए पहलू हैं उन्हें जल्द से जल्द पूरा होता हुआ देखना चाहेंगे और इस ऐतिहासिक समझौते को पूरा होता देखना चाहेंगे

साझा बयान का हिस्सा
भारत की ओर से इस महत्वपूर्ण दौर की बातचीत में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन, अमरीका में भारत के राजदूत रॉनेन सेन, सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त जयशंकर और परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोदकर शामिल हुए थे।
और पिछले चार दिनों से चल रही लगातार बातचीत के दौरान उन्होंने उपराष्ट्रपति डिक चेनी, विदेश मंत्रि कोंडोलीज़ा राइस और रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स से भी बात की।
कई पहलुओं पर चुप्पी
ये बातचीत बृहस्पतिवार को ख़्त्म हो जानी थी लेकिन उपराष्ट्रपति डिक चेनी के साथ हुई मुलाक़ात के बाद इसे एक दिन के लिए और बढ़ा दिया गया।
दोनों ही पक्षों ने समझौते में क्या है, इंधन के दोबारा इस्तेमाल और परमाणु परीक्षण जैसे पेचीदे सवाल जो पिछले दिनों बार बार उठाए जा रहे थे उन पर कोई बयान नहीं दिया है।
लेकिन जानकारों का कहना है कि समझौता अब मंज़िल से ज़्यादा दूर नहीं होना चाहिए।
अब बुश प्रशासन को अमरीकी कांग्रेस को समझाना होगा और मनमोहन सिंह सरकार को अपने सहयोगी दलों और विपक्षी पार्टियों को।
और इस समझौते के लिए आनेवाले दिनों की सबसे बड़ी चुनौती यही होगी।

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