Friday, August 24, 2007

सलमान की अर्ज़ी ख़ारिज, सज़ा बरकरार

जोधपुर की निचली अदालत ने 10 अप्रैल, 2006 को सलमान ख़ान को हिरण की दुर्लभ प्रजाति चिंकारा के शिकार का दोषी क़रार देते हुए पाँच साल की जेल और 25 हज़ार रुपए के जुर्माने की सज़ा सुनाई थी.

स्थानीय बिश्नोई समुदाय ने सलमान ख़ान के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कराया था.

इसी फ़ैसले के ख़िलाफ़ सलमान ख़ान ने सत्र न्यायालय में याचिका दायर की थी लेकिन जज ने उनकी दलीलों को अस्वीकार कर दिया.

इस फ़ैसले के बाद सलमान ख़ान को आत्मसमर्पण करना होगा. न्यायालय ने अदालत में सलमान ख़ान की ग़ैरमौजूदगी को भी गंभीरता से लिया और उन्हें अदालत के समक्ष जल्दी से जल्दी पेश होने को कहा है.

फ़ैसले के बाद अभियोजन पक्ष के वकील महिपाल बिश्नोई ने कहा, "यह बिश्नोई समाज की जीत है. अब तो उन्हें ऊपरी अदालत से ज़मानत मिलने में भी परेशानी आ सकती है क्योंकि वे ख़ुद आज अदालत में नहीं आए."

उन्होंने कहा कि सलमान ख़ान के ख़िलाफ़ शिकार के तीन मामले हैं जिनमें से एक में उन्हें एक साल की सज़ा हो चुकी है और इस मामले में उन्हें पाँच साल की सज़ा हुई थी जिसे सत्र न्यायालय ने बरकरार रखा है.

सलमान के वकील दीपेश मेहता ने कहा है कि फ़ैसले के ख़िलाफ़ वो हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल करेंगे.

चिंकारा के शिकार का मामला 1998 का है. सलमान पर आरोप है कि उन्होंने 1998 में फ़िल्म 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग के दौरान चिंकारा को मारा था.

इस मामले में जोधपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने सलमान ख़ान को वन्य जीव संरक्षण क़ानून के तहत शिकार का दोषी क़रार देते हुए सज़ा सुनाई थी.

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