संवाद समिति पीटीआई के अनुसार विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी इसके संयोजक होंगे जबकि समिति में गठबंधन दलों के विभिन्न दलों के 15 सदस्य होंगे।
रिपोर्टों के अनुसार कांग्रेस और वाम दलों से छह छह सदस्य होंगे जबकि राष्ट्रीय जनता दल, द्रविड़ मुनेत्र कझगम और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के एक एक सदस्य होंगे।
मुखर्जी के अलावा कांग्रेस के एके एंटनी, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, सैफुद्दीन सोज़ और पृथ्वीराज चौहान समिति में होंगे जबकि आरजेडी के लालू प्रसाद यादव, डीएमके के टी आर बालू और एनसीपी के शरद पवार इस समिति के सदस्य होंगे।
वाम दलों के छह सदस्यों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाश कारत और सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एबी बर्धन और डी राजा, फॉरवर्ड ब्लॉक के देबब्रत बिस्वास और रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के टी जे चंद्रचूड़न शामिल होंगे।
मुखर्जी ने कहा कि अभी इस समिति की पहली बैठक की तारीख तय नहीं हुई है। उन्होंने इन सवालों का जवाब भी नहीं दिया कि समिति की रिपोर्ट कब आएगी।
सरकार ने पिछले दिनों समिति के गठन की घोषणा की थी लेकिन इसके सदस्यों के नाम नही बताए थे।
वाम दलों का रुख कड़ा
समिति का गठन वाम दलों की आपत्तियों पर विचार के लिए किया गया है लेकिन कमेटी के गठन से पहले ही वाम दलों ने अपना रुख कड़ा कर रखा है।
परमाणु समझौते के विरोध के साथ ही वाम दलों ने अब अमरीका और अन्य दलों के साथ नौसैनिक अभ्यास का भी विरोध किया है और इसके ख़िलाफ़ व्यापक स्तर पर अभियान भी शुरु किया है।कोलकाता में बकायदा एक अभियान शुरु कर सैनिक अभ्यास का विरोध किया गया और वहीं वाम दलों के नेताओं ने साफ कहा कि वो परमाणु सौदे पर गठित समिति में भी सदस्यों को समझाने की कोशिश करेंगे कि यह समझौता देशहित में नही है।
1 comment:
आपने अच्छा मुद्दा उठाया है पर सरकार और कम्युनिस्ट का खटकाव देश हित मे नही है
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