निशाना पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एन जनार्दन रेड्डी के काफ़िले को बनाया गया लेकिन वो और उनकी पत्नी एन राज्यलक्ष्मी बाल-बाल बच गए।
जनार्दन रेड्डी विशाखापत्तनम से सांसद हैं जबकि राज्यलक्ष्मी राज्य सरकार में शिक्षा मंत्री हैं।
आंध्र प्रदेश के गृह मंत्री के जना रेड्डी ने बताया कि मारे गए लोग जनार्दन रेड्डी के समर्थक थे जो उनके साथ यात्रा कर रहे थे।
उनका कहना था, "हमें इस हमले के पीछे प्रतिबंधित माओवादी संगठन का हाथ होने का संदेह है।"
बारूदी सुरंग नेल्लौर और तिरूपति के बीच विद्यानगर के निकट एक पुलिया के नीचे रखा गया था।
विस्फोट
जैसे ही 50 गाड़ियों का काफ़िला इस पुलिया के ऊपर से गुजरने लगा, रिमोट कंट्रोल से बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया गया।
हमले में वीआईपी दंपत्ति को ही निशाना बनाया गया था क्योंकि विस्फोट उसी समय हुआ जब लालबत्ती लगी गाड़ी पुलिया पर पहुँची थी।
जनार्दन रेड्डी तिरूपति स्थित श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय जा रहे थे जहाँ उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी जानी थी।
पुलिस का कहना है कि विस्फोट करने के बाद एक या अधिक व्यक्ति वहाँ से भाग खड़े हुए जिनकी धर-पकड़ के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है।
पिछले एक साल में माओवादियों का यह सबसे बड़ा हमला है।
जनार्दन रेड्डी 1990 से 1992 के बीच मुख्यमंत्री रहे थे। उन्हीं के कार्यकाल के दौरान माओवादी संगठन पीपुल्स वार को प्रतिबंधित किया गया था।
अक्तूबर, 2004 में पीपुल्स वार और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) का आपस में विलय हो गया और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नाम से नया संगठन बना।
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