Friday, September 14, 2007

इराक़ से अमरीकी सैनिकों की आंशिक वापसी

अमरीकी जनता को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इराक़ से सैनिकों की आंशिक वापसी की घोषणा की है।

उन्होंने कहा है कि इस महीने के अंत में जो दो हज़ार मरीन सैनिक वापस लौट रहे हैं उनकी जगह नई नियुक्तियाँ नहीं की जाएँगीं और 5,700 सैनिकों की वापसी क्रिसमस से पहले हो जाएगी।

राष्ट्रपति बुश ने कहा है कि यदि परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं तो अगली गर्मियों तक लगभग 30 हज़ार सैनिकों की वापसी हो जाएगी।

सैनिकों की वापसी को इराक़ में मिलने वाली सफलता से जोड़ते हुए उन्होंने कहा, "हम जितने ज़्यादा सफल होंगे, उतने ज़्यादा सैनिकों की वापसी हो सकेगी।"

इस तरह अगली गर्मियों तक सैनिकों की संख्या उतनी ही हो जाएगी जितनी इस साल और सैनिक भेजने के पहले थी।

उन्होंने आमतौर पर इराक़ में अमरीकी कमांडर जनरल डेविड पैट्रॉस के सुझावों को मान लिया है, जिन्होंने इराक़ में अमरीकी फ़ौज की प्रगति पर इस सप्ताह के शुरु में संसद में एक रिपोर्ट पेश की थी।

हालांकि विपक्षियों का कहना है कि और सैनिकों को वापस बुलाया जाना चाहिए।

'सफलता'

राष्ट्रपति बुश ने व्हाइट हाउस से टेलीविज़न के ज़रिए राष्ट्र को संबोधित किया है।

उन्होंने इस साल के शुरु में 30 हज़ार अतिरिक्त सैनिकों की नियुक्ति को युक्तिसंगत ठहराते हुए कहा कि इससे सैन्य अभियान को फ़ायदा पहुँचा है।

अमरीकी फ़ौजों की सफलता के रुप में उन्होंने अनबार प्रांत का ज़िक्र किया और कहा कि वहाँ लोगों ने अमरीकी फ़ौजों के साथ मिलकर चरमपंथियों को खदेड़ दिया है।

उनका कहना था कि हाल के महीनों में फ़ौजों ने हर महीने औसतन 15 सौ चरमपंथियों को मारा या पकड़ा है।

राष्ट्रपति बुश ने कहा कि स्वतंत्र इराक़ से मध्यपूर्व के लोगों को एक उदाहरण मिलेगा।

उन्होंने जनरल पेट्रॉस से कहा है कि वे अगले साल मार्च में इराक़ पर एक और रिपोर्ट पेश करें।

प्रतिक्रिया

बुश प्रशासन पर डेमोक्रेटिक पार्टी का भारी दबाव था कि वे अपनी इराक़ नीति बदलें और सैनिकों की वापसी की घोषणा करें।

राष्ट्रपति बुश के संबोधन के बाद पहली प्रतिक्रिया में डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा है कि राष्ट्रपति की योजना से कोई बदलाव नहीं दिखता।

राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि बुश ने जो घोषणा की है वह 'बहुत देर से बहुत थोड़ा' है।

सांसद जैक रीड ने कहा कि इराक़ में स्थाई शांति की स्थापना की सूरत यही है कि इराक़ी नेता अपने आपसी मतभेद भुलाएँ।

राष्ट्रपति बुश का यह संबोधन इराक़ के एक बड़े सुन्नी नेता अब्द अल-सत्तार अबू रिशा की हत्या के बाद हुआ है।

वो अल-क़ायदा के विरोधी थे और अनबार प्रांत में अमरीकी फ़ौजों की सहयता कर रहे थे।

No comments: