Friday, September 21, 2007

'रामसेतु' पर प्रस्ताव पारित करेगी भाजपा

भोपाल में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू हो गई है। इसमें 'रामसेतु' के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तबीयत ठीक नहीं होने के कारण बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।

शुक्रवार को शुरू हुई इस तीन दिवसीय बैठक में पार्टी संभावित चुनावी मुद्दों पर चर्चा करेगी।

लकोसभा चुनाव में भाजपा किसे प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाएगी, इसको लेकर पार्टी नेताओं की ओर से जो परस्पर विरोधी विचार आ रहे थे, उसे दूर करने की कोशिश की जा रही है।

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने बैठक के पहले दिन कहा कि वाजपेयी के बाद लालकृष्ण आडवाणी ही स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं और राम नाईक ने भी उनका समर्थन किया।

बैठक के पहले ही दिन सेतुसमुद्रम या 'रामसेतु' के मामले पर वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी एक प्रस्ताव पेश करेंगे जिस पर चर्चा होगी। वो रामसेतु रक्षा मंच के सदस्य भी हैं।

हालाँकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा है कि पार्टी 'रामसुते' को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाएगी।

उनका कहना था, "हम इस मामले को राजनीति से परे रखेंगे। इस मुद्दे को रामसेतु रक्षा मंच की ओर से उठाया जाएगा जिसका भाजपा समर्थन करेगी।"

चुनाव

लोकसभा और आने वाले महीनों में कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति पर भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में चर्चा की जाएगी।

भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री रिपोर्ट पेश करेंगे। ख़ास कर गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में चल रही अंदरूनी उठापटक केंद्र में होगा।

भाजपा के उपाध्यक्ष मुख़्तार अब्बास नक़वी ने गुरुवार को कहा कि बैठक में महँगाई, आतंकवाद, रामसेतु और आम आदमी पर बढ़ते दबाव के मुद्दों पर चर्चा होगी।

भाजपा को मध्यावधि चुनावों की आहट भले ही सुनाई दे रही हो लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी किसको प्रधानमंत्री का दावेदार बनाएगी, इसको लेकर रस्साकशी जारी है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता आडवाणी ने यह कहकर कि ब्रिटेन में चुनाव में विपक्षी पार्टी के विजयी होने की सूरत में विपक्ष के नेता को प्रधानमंत्री बनाए जाने की परंपरा है, इस मामले में पहल कर दी।

मगर उतनी ही तेज़ी से यशवंत सिन्हा और मुरली मनोहर जोशी ने यह कहकर उनका पत्ता काटने की कोशिश की कि यह बात भारत में लागू नहीं होती।

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