उन्होंने ये विचार भोपाल में बीबीसी के साथ बातचीत में व्यक्त किए। भोपाल में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिन की बैठक चल रही है।
महत्वपूर्ण है कि शनिवार को इस बैठक में 'रामसेतु' के मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया जाना है।
सेतुसमुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार के विवादास्पद हलफ़नामे के संदर्भ में प्रकाश जावड़ेकर ने आरोप लगाया - "राम के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ हुआ है और भाजपा इस विषय को जनता के बीच ले जाएगी।"
आश्चर्यजनक है कि इसके साथ ही उनका कहना था - "हम रामसेतु पर राजनीति नहीं करना चाहते।"
'सांप्रदायिक राजनीति'
भाजपा की ओर से उठाए जाने वाले अन्य मुद्दो पर उनका कहना था, "आम आदमी के नाम पर सत्ता में आई सरकार ने आम आदमी के साथ विश्वासघात किया और महँगाई की समस्या पैदा की है।"
प्रकाश जावड़ेकर का कहना था कि भाजपा 'विभिन्न तरीक़ों से देश की सुरक्षा को आतंकवाद से पैदा हुए ख़तरे और लोगों को बाँटने वाली सांप्रदायिक राजनीति के विषय भी मतदाताओं के बीच ले जाएगी।'
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सांप्रदायिक राजनीति कर रही है। उनके अनुसार - ' यदि ग़रीबों की बात करें तो हिंदू ग़रीब को मदद की बात नहीं है, केवल मुसलमान ग़रीब को ही ग़रीब माना जा रहा है।'
परमाणु सहमति और संप्रभुता
भाजपा प्रवक्ता से पूछा गया कि भारत-अमरीका परमाणु समझौते समेत कई मुद्दों पर पार्टी में अनेक स्वर सुनाई देते हैं।
उन्होंने कहा, "परमाणु समझौते पर पार्टी की राय सपष्ट है। हमारा विरोध कम्युनिस्ट पार्टियों की तरह अमरीका-विरोध से प्रेरित नहीं बल्कि इसलिए हैं क्योंकि इससे हमारी संप्रभुता पर आँच आती है। "
गुजरात में होने वाले चुनावों और वहाँ पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं के बारे में प्रकाश जावड़ेकर का कहना था, "मैं नहीं मानता कि गुजरात में कुछ असंतुष्ट मुख्यमंत्री को पद से हटाना चाहते हैं। एक दो सांसद और पाँच-छह विधायक अलग राय रखते हैं और सत्ता में, बड़ी पार्टियों में ऐसा होना स्वभाविक है।"
लेकिन उनका ये भी कहना था कि हो सकता है कि ऐसे कुछ लोगों को पार्टी से बाहर जाना पड़े।
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