अमरीकी राष्ट्रपति के कार्यालय की प्रवक्ता डाना पैरिनो ने पत्रकारों को बताया है कि अमरीकी विदेश उपमंत्री जॉन नेग्रोपॉन्टे ने अपनी पाकिस्तान यात्रा से लौटकर राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को वहाँ हुई गतिविधियों से अवगत कराया है।
प्रवक्ता डाना पैरिनो से पूछा गया कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ के इमरजेंसी हटाने से इनकार कर देने के बाद अमरीका आगे क्या करेगा?
डाना पैरिनो का कहना था, "पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और राष्ट्रपति बुश पाकिस्तान से गुज़ारिश ही कर सकते हैं। कूटनीति में नतीज़े तत्काल सामने नज़र नहीं आते और इसलिए हमने बातचीत के विकल्प खुले रखे हैं।"
उधर पाकिस्तान में जहाँ नवगठित सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के दोबारा चुनाव को चुनौती देने वाली छह याचिकाओं में से पाँच रद्द कर दी हैं, वहीं मंगलवार को राष्ट्रपति मुशर्रफ़ सऊदी अरब जा रहे हैं।
एक ओर अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद राष्ट्रपति मुशर्रफ़ वहाँ पाकिस्तान के निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से बातचीत करें, लेकिन नवाज़ शरीफ़ ने विभिन्न समाचार माध्यमों के ज़रिए स्पष्ट किया है कि उनकी राष्ट्रपति मुशर्रफ़ से बातचीत करने की कोई योजना नहीं है।
चुनाव कराने की घोषणा
पाकिस्तान एक संप्रभु देश है और राष्ट्रपति बुश पाकिस्तान से गुज़ारिश ही कर सकते हैं। कूटनीति में नतीज़े तत्काल सामने नज़र नहीं आते और इसलिए हमने बातचीत के विकल्प खुले रखे हैं
व्हाइट हाउस प्रवक्ता
अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय की प्रवक्ता डाना पैरिनो ने कहा है कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ ने इमरजेंसी हटाने की घोषणा तो नहीं की है लेकिन उन्होंने चुनाव कराने की घोषणा की है, जो अच्छी बात है।
उन्होंने ये भी भरोसा ज़ाहिर किया कि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ सेनाध्यक्ष का पद भी छोड़ देंगे, जो पाकिस्तान की जनता के लिए एक अच्छी बात होगी।
लेकिन डाना पैरिनो का ये भी कहना था, "हम नहीं मानते कि ऐसे माहौल में जहाँ लोगों को चुनाव प्रचार करने की आज़ादी न हो और मीडिया को रिपोर्टिंग करने की अनुमति न हो, वहाँ चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सकते हैं।"
हम नहीं मानते कि ऐसे माहौल में जहाँ लोगों को चुनाव प्रचार करने की आज़ादी न हो और मीडिया को रिपोर्टिंग करने की अनुमति न हो, वहाँ चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हो सकते हैं
व्हाइट हाउस
अमरीका में विश्लेषकों का मानना है कि अमरीका पाकिस्तान में एक ऐसी सरकार चाहता है जिसमें मुशर्रफ़ भी हों और बेनज़ीर भी हो और मुशर्रफ़ सरकार और फ़ौज के बीच पुल का काम करें।
टीकाकारों का मानना है कि यदि अमरीका इस समय राष्ट्रपति मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ कड़े कदम उठाने का सोचता भी है तो उसे अपनी कई हितों का ध्यान रखना होगा।
उनका मानना है कि यदि राष्ट्रपति मुशर्रफ़ 'हट' भी जाते हैं तो 'आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग' और अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका के नेतृत्व वाले सैन्य अभियान का क्या होगा, क्योंकि वह इसके लिए पाकिस्तान की बंदरगाह और क्षेत्र का इस्तेमाल करता है।
Tuesday, November 20, 2007
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