Saturday, December 15, 2007

उत्सर्जन में कटौती पर सहमति लेकिन

जलवायु परिवर्तन पर बाली सम्मेलन में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती के दस्तावेज़ पर आरंभिक सहमति बन गई है लेकिन लक्ष्य तय नहीं हो सके।

सम्मेलन के अंतिम चरण में हिस्सा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून बाली पहुँच रहे हैं।

अभी ये तय नहीं है कि विकासशील देश मौजूदा स्वरुप में समझौते के प्रारूप को स्वीकार करेंगे या नहीं।

समझौते के प्रारुप पत्र से यह भी स्पष्ट नहीं है कि कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी लाने में विकासशील देशों की कितनी भागीदारी होगी।

इस दस्तावेज़ के आधार पर वर्ष 2009 में भी बातचीत जारी रहेगी।

अमरीका ने चेतावनी दी थी कि अगर प्रदूषण फैलाने वाली ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए कोई बाध्यकारी लक्ष्य निर्धारित किया गया तो वह इसे स्वीकार नहीं करेगा।

दूसरी ओर यूरोपीय संघ जलवायु परिवर्तन से उपजी चुनौतियों से निपटने के लिए इसे ज़रूरी बता रहा था।

इस मतभेद को दूर करने के लिए कोई बीच का रास्ता निकाला गया है।

समझौते का जो मसौदा है उस पर अभी वार्ता में हिस्सा ले रहे सभी पक्षों की सहमति की अंतिम मुहर लगनी बाक़ी है मगर लग ये रहा है कि ये सब को कुछ न कुछ देकर ख़ुश करने वाला एक दस्तावेज़ बना है।

धुँधली तस्वीर

यूरोपीय संघ काफ़ी बढ़चढ़कर कह रहा था कि विकसित देशों को ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करना चाहिए और पहले के दस्तावेज़ में उसे प्रमुखता से जगह मिली थी मगर इस दस्तावेज़ में वो हिस्सा महज़ फ़ुटनोट बनकर रह गया है यानी मुख्य दस्तावेज़ के पीछे जोड़ी गई टिप्पणियाँ और आँकड़े।

साथ ही वर्ष 2050 तक उत्सर्जन को आधा करने की जो बात थी वो भी इस दस्तावेज़ से बाहर कर दी गई है।

अमरीका के लिए चिंता का विषय था ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने की अनिवार्य शर्तें, इस बारे में दस्तावेज़ की भाषा अस्पष्ट सी रखी गई दिखती है।

इसमें विकसित देशों से ज़रूरी प्रतिबद्धताओं और क़दमों को राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन देने की बात कही गई है,

अमरीका हमेशा से ही ऐसी भाषा का पक्षधर रहा है। मगर साथ ही इसमें ये भी कहा गया है कि ये समर्थन अनिवार्य शर्तों के रूप में भी हो सकता है।

इस भाषा के साथ अमरीका में आने वाले नए प्रशासन को वर्ष 2009 के अंत तक वैधानिक रूप से अनिवार्य सीमा तय करने की छूट मिल सकती है।

मगर पर्यावरण से जुड़े संगठनों और अन्य प्रतिनिधियों ने दस्तावेज़ की इस भाषा को कमज़ोर बताते हुए इसे गँवाया हुआ एक अवसर कहा है।

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