अमरीकी मीडिया का कहना है कि बेनज़ीर भुट्टो अपनी हत्या की रात चुनाव में सरकार की तरफ़ से धांधली के कथित मंसूबे पर एक दस्तावेज़ दो अमरीकी सांसदों को देना चाहती थीं.
अमरीकी कॉंग्रेस के ये दोनों सदस्य उस समय पाकिस्तान के दौरे पर थे.
पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो 27 दिसंबर को रावलपिंडी में हुए आत्मघाती हमले में मारी गईं थीं.
160 पन्नों के इस दस्तावेज़ में आरोप लगाया गया है कि मुशर्रफ़ सरकार ने बैलट पेपर में गड़बड़ी, उम्मीदवारों को धमकाने और आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग के लिए अमरीका से मिले संसाधनों का इस्तेमाल कर चुनावी नतीजों को बदलने की साजिश बनाई थी.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने दावा किया है कि अमरीका की तरफ़ से आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग के लिए पाकिस्तान सरकार को जो संसाधन मिलते हैं उसका 90 फ़ीसदी इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों की जासूसी पर किया जा रहा है.
इस दस्तावेज़ में कहा गया है जहां कहीं भी विपक्षी उम्मीदवार मज़बूत स्थिति में है, उन इलाक़ों में मतदान केंद्रों पर विवाद खड़ा करने और ज़रूरत पड़े तो गोलियाँ चला कर मतदान को तीन-चार घंटे तक रुकवा देने की साजिश रची गई.
पाकिस्तान सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है और इस दस्तावेज़ को बेबुनियाद क़रार दिया है.
राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के प्रवक्ता राशिद क़ुरैशी ने इन आरोपों को हास्यास्पद बताया है. उन्होंने कहा कि चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से कराए जाएंगे.
पीपीपी के एक नेता ने बताया है कि ये दस्तावेज़ बेनज़ीर के कहने पर तैयार की गई थी और इसमें वो जानकारियाँ दर्ज की गई हैं जो ख़ुफ़िया विभाग और पुलिस सूत्रों से हासिल हुई थी.
अमरीकी टेलीविज़न चैनल सीएनएन के मुताबिक बेनज़ीर भुट्टो के नज़दीकी रह चुके पीपीपी के नेता लतीफ़ खोसा ने कहा है कि बेनज़ीर भुट्टो अपनी हत्या की रात चुनाव में धांधली की साजिश से संबंधित सबूत जारी करने जा रही थीं.
उनका कहना है कि इस दस्तावेज़ के ऊपर लिखा था 'जम्हूरियत के माथे पर एक और धब्बा'.
Wednesday, January 2, 2008
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