भारत में शायद अब शादी करने के लिए लड़कों को 21 वर्ष की उम्र होने तक इंतज़ार न करना पड़े।
वजह यह है कि देश के विधि आयोग ने सिफ़ारिश की है कि लड़कियों की तरह लड़कों के लिए भी शादी की न्यूनतम आयु सीमा घटाकर 18 वर्ष कर दी जाए।
साथ ही उन शादियों को अमान्य करार दिए जाने की सिफ़ारिश भी की गई है जो कि 16 वर्ष से कम उम्र में की गई हैं।
विधि आयोग ने शादी के पंजीकरण को अनिवार्य करने पर बल देते हुए कहा कि अगर 16 वर्ष से कम उम्र में लड़के और लड़की परस्पर सहमति या असहमति से यौन संबंध बनाते हैं तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में रखा जाएगा।
यानी इस दायरे में वे लोग भी आ जाएंगे जो 16 वर्ष से कम उम्र की अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाएंगे।
विरोधाभाष
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 कहती है कि अगर 15 वर्ष की लड़की को पत्नी बताकर सहमति से उसके साथ सहवास किया जाए तो इसपर कोई कार्यवाही नहीं होगी।
वहीं दूसरी ओर विवाह क़ानून कहते हैं कि विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी ज़रूरी है।
दोनों बातों में जो विरोधाभाष है, उसे ख़त्म करने के लिए विधि आयोग को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई कि पड़ताल करके यह तय किया जाए कि भारत में शादी के लिए न्यूनतम उम्र क्या होनी चाहिए।
हालांकि केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रेणुका चौधरी आयोग की इन ताज़ा सिफ़ारिशों से सहमत नहीं हैं पर आयोग का इसके पीछे तर्क है कि अगर किसी लड़के को 18 वर्ष की उम्र में मत देने का अधिकार है तो शादी करने का क्यों नहीं।
आयोग ने अपनी सिफ़ारिशों को केंद्रीय विधिमंत्री हंसराज भारद्वाज को सौंप दिया है। सिफ़ारिशें तो कर दी गई हैं पर इन्हें पहले सरकार और फिर संसद की मंज़ूरी के बाद ही अमलीजामा पहनाया जा सकेगा।
Thursday, February 7, 2008
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