बर्मा ने स्पष्ट किया है कि वह तूफ़ान पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता चाहता है लेकिन वो किसी भी सूरत में विदेशी सहायताकर्मियों को स्वीकार नहीं करेगा।
बर्मा के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि वह तूफ़ान से बुरी तरह प्रभावित इलाक़ों में ख़ुद राहत और सहायता पहुँचाने की कोशिश कर रहा है।
ये बयान संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून की उस टिप्पणी के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि राहत पहुँचाने की व्यवस्था से वो निराश हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि सहायता के पीछे उसकी कोई राजनीतिक मंशा नहीं है।
इस बीच एक सरकारी अख़बार ने कहा है कि कतर से आए एक विमान में सवार विदेशी राहतकर्मियों और पत्रकारों को वापस लौटा दिया गया है।
संस्था का अनुमान है कि बर्मा के तूफ़ान पीड़ित इलाक़ो में कोई 15 लाख लोग राहत पहुँचने का इंतज़ार कर रहे हैं।
बर्मा के तूफ़ान प्रभावित इलाक़े
उल्लेखनीय है कि पिछले शनिवार आए भीषण तूफ़ान में 22 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे और 41 हज़ार से अधिक लोग लापता बताए गए थे।
बर्मा में अमरीकी राजनयिकों का कहना है कि इस तूफ़ान में एक लाख से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है।
निराशा
आमतौर पर सहायता संस्थाओं को यह अंदाज़ा हो जाता है कि नुकसान किस पैमाने पर हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र यह काम अब तक कर चुका होता, लेकिन उसके चार विशेषज्ञों को अब जाकर बर्मा में प्रवेश का वीज़ा मिला है। ये लोग रविवार से थाईलैंड में इंतज़ार कर रहे थे।
गोदामों में सामग्री नहीं बची है और मानव संसाधन की भारी कमी है. हमें आशा है कि बर्मा की सरकार समझ जाएगी कि और लोगों को बर्मा जाने की अनुमति देना कितना ज़रूरी है
एलिज़ाबेथ बायर्स, संयुक्त राष्ट्र की प्रवक्ता
संयुक्त राष्ट्र की प्रवक्ता ऐलिज़ाबेथ बायर्स ने इसका स्वागत किया है, " इससे लगता है कि बर्मा अपने दरवाज़े खोल रहा है लेकिन बहुत धीरे धीरे।"
उन्होंने कहा, "गोदामों में सामग्री नहीं बची है और मानव संसाधन की भारी कमी है। हमें आशा है कि बर्मा की सरकार समझ जाएगी कि और लोगों को बर्मा जाने की अनुमति देना कितना ज़रूरी है।"
लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख जॉन होम्स राहत सहायता को लेकर बर्मा के रवैये से नाराज़ हैं।
वे कहते हैं, "बर्मा को जितनी सहायता की ज़रुरत है उसकी तुलना में उसका रवैया वैसा नहीं है।"
नवीनतम अनुमान के अनुसार मरने वालों की संख्या एक लाख हो सकती है।
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