Tuesday, June 10, 2008

गूजर आंदोलनकारियों और राजस्थान सरकार के बीच रस्साकशी - जून 10 , 2008

गूजर आंदोलनकारियों और राजस्थान सरकार के बीच रस्साकशी जारी है। दोनों पक्षों की बयाना में हुई पहले दौर की बातचीत के बाद फिर गतिरोध उत्पन्न होने की आशंका है।
गूजर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला ने माँग की है कि गिरफ़्तार आंदोलनकारी महिलाओं को तत्काल रिहा किया जाए। ग़ौरतलब है कि लगभग 25 आंदोलनकारी गूजर महिलाएँ जेल में बंद हैं।

इसके पहले गूजर नेताओं ने बातचीत को सफल बताया था और उन्होंने मंगलवार को आयोजित भारत बंद वापस ले लिया है।

इधर राजस्थान सरकार ने गूजर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा कायम कर दिया है।

प्रेक्षकों का मानना है कि राजस्थान सरकार ने ऐसा गूजर नेताओं पर दबाव बढ़ाने के लिए किया गया है।

भाजपा के राजस्थान के प्रभारी गोपीनाथ मुंडे ने सोमवार देर रात कहा कि मंगलवार को दूसरे दौर की बात हो सकती है।

राजस्थान सरकार ने अपने दो प्रतिनिधियों खान मंत्री लक्ष्मी नारायण दवे और सांवरलाल जाट को गूजर आंदोलनकारियों से बातचीत करने के लिए बयाना भेजा था।

ये दोनों मंत्री मंगलवार को सरकार को अपनी बातचीत की जानकारी देंगे

गूजरों की मांग

नेताओं ने सरकार से माँग की है कि वह गूजरों के गाँव में बिजली और पानी को बहाल करे।

उनका आरोप था कि सरकार से इसे रोक दिया है। साथ ही पुलिस कार्रवाई को नियंत्रित करने की माँग भी की गई।

हालांकि गूजर नेता किरोड़ी सिंह बैसला ने वार्ता में भाग नहीं लिया था। पत्रकारों से बातचीत में किरोड़ी सिंह बैसला ने कहा कि वे धरना स्थल को छोड़ कर नहीं जायेंगे

प्रतिनिधियों से बातचीत बयाना में हुई क्योंकि गूजर नेताओं ने बातचीत के लिए जयपुर आने का निमंत्रण ठुकरा दिया था।

राज्य सरकार चाहती है कि अगले दौर की बातचीत जयपुर में हो।

ग़ौरतलब है कि गूजरों को जनजाति का दर्जा दिए जाने की माँग कर रहे हैं। इस आंदोलन के दौरान 37 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है।

पिछले 19 दिनों से चल रहे आंदोलन में ये पहला मौक़ा है जब सरकार और गूजरों के बीच सीधी बातचीत हुई।

1 comment:

Unknown said...

देखना है कि जब भीड़ हिंसा करती है और कानून का खुला उल्लंघन करती है तो कानून उसे क्या सजा देता है? देखना है कि क्या कानून का जोर केवल अकेले कमजोर आदमी पर ही चलता है? गुर्जर आन्दोलनकारियों ने बहुत नुकसान किया है देश का, राष्ट्रिय संपत्ति नष्ट की है, आवागमन अवरुद्ध करके देश को करोड़ों रुपए का नुकसान पहुँचाया है. ऐसे हालत पैदा किए हैं जिस से कई लोगों की जान गई. इस के लिए जिम्मेदार व्यक्तिओं को सजा मिलनी ही चाहिए, चाहे वह आंदोलनकारी हों, पुलिस वाले हों या सरकार में हों.