पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने एक बार फिर अमरीका में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि अब वक़्त आ गया है जब भारत और पाकिस्तान को असली मुद्दे पर बात करनी चाहिए।
अमरीका की यात्रा पर पहुँचे विदेश मंत्री शाह मोहम्मद क़ुरैशी ने अमरीका को मध्यस्थता के लिए भी आमंत्रित करते हुए कहा है कि अमरीका को इस मसले को हल करने की प्रक्रिया में भूमिका निभानी चाहिए।
काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले में पाकिस्तान का कोई हाथ होने से साफ़ इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की बिगड़ती स्थिति के लिए उसकी अंदरूनी कारण ज़िम्मेदार हैं।
वर्ष 2004 में भारत के साथ शांति प्रक्रिया शुरु होने के बाद से पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय फ़ोरमों में कश्मीर का मुद्दा उठाना कम कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र के पिछले दो अधिवेशनों में कश्मीर का मुद्दा आया ही नहीं और इसे शांति प्रक्रिया के सकारात्मक पहलू के रुप में देखा जा रहा था।
असली मुद्दा
वॉशिंगटन के ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन के एक फ़ोरम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बात करने की ज़रुरत है क्योंकि इसे अनंत काल तक टाला नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि अब वक़्त आ गया जब दोनों देश असली मुद्दे पर बात करें।
समाचार एजेंसी एएएफ़पी के अनुसार उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर लचीला रुख़ अपनाया है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस पर एक दायरे से बाहर आकर सोचने की ज़रुरत है और अब पाकिस्तान में आम धारणा है कि भारत को भी ऐसा ही रुख़ अपनाना चाहिए।"
उनका कहना था कि अब अगर कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत शुरु नहीं की गई तो लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हल करने में अमरीका को भी भूमिका निभानी होगी।
अफ़ग़ानिस्तान
अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय दूतावास में हाल ही में हुए आत्मघाती हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से साफ़ इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का उपयोग किसी को भी किसी और देश के ख़िलाफ़ करने की अनुमति नहीं देगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भलाई भी इसी में है कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता क़ायम रहे।
समाचार एजेंसियों के अनुसार उन्होंने कहा, "हम ऐसी परिस्थिति की कल्पना नहीं कर सकते जिसमें पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान के लगातार अस्थिर बने रहने से कोई फ़ायदा पहुँचे।"
उन्होंने पड़ोसी देशों से लगातार बात करने की हिमायत करते हुए उन्होने कहा कि एक दूसरे पर शंका के माहौल को तत्काल ख़त्म करना चाहिए।
अमरीका की यात्रा पर पहुँचे विदेश मंत्री शाह मोहम्मद क़ुरैशी ने अमरीका को मध्यस्थता के लिए भी आमंत्रित करते हुए कहा है कि अमरीका को इस मसले को हल करने की प्रक्रिया में भूमिका निभानी चाहिए।
काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले में पाकिस्तान का कोई हाथ होने से साफ़ इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की बिगड़ती स्थिति के लिए उसकी अंदरूनी कारण ज़िम्मेदार हैं।
वर्ष 2004 में भारत के साथ शांति प्रक्रिया शुरु होने के बाद से पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय फ़ोरमों में कश्मीर का मुद्दा उठाना कम कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र के पिछले दो अधिवेशनों में कश्मीर का मुद्दा आया ही नहीं और इसे शांति प्रक्रिया के सकारात्मक पहलू के रुप में देखा जा रहा था।
असली मुद्दा
वॉशिंगटन के ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन के एक फ़ोरम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि कश्मीर एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बात करने की ज़रुरत है क्योंकि इसे अनंत काल तक टाला नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि अब वक़्त आ गया जब दोनों देश असली मुद्दे पर बात करें।
समाचार एजेंसी एएएफ़पी के अनुसार उन्होंने कहा, "पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर लचीला रुख़ अपनाया है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस पर एक दायरे से बाहर आकर सोचने की ज़रुरत है और अब पाकिस्तान में आम धारणा है कि भारत को भी ऐसा ही रुख़ अपनाना चाहिए।"
उनका कहना था कि अब अगर कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत शुरु नहीं की गई तो लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हल करने में अमरीका को भी भूमिका निभानी होगी।
अफ़ग़ानिस्तान
अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय दूतावास में हाल ही में हुए आत्मघाती हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से साफ़ इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का उपयोग किसी को भी किसी और देश के ख़िलाफ़ करने की अनुमति नहीं देगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भलाई भी इसी में है कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता क़ायम रहे।
समाचार एजेंसियों के अनुसार उन्होंने कहा, "हम ऐसी परिस्थिति की कल्पना नहीं कर सकते जिसमें पाकिस्तान को अफ़ग़ानिस्तान के लगातार अस्थिर बने रहने से कोई फ़ायदा पहुँचे।"
उन्होंने पड़ोसी देशों से लगातार बात करने की हिमायत करते हुए उन्होने कहा कि एक दूसरे पर शंका के माहौल को तत्काल ख़त्म करना चाहिए।
1 comment:
अजी यह बिल्लियो की बाटं मे बन्दर का क्या काम, लेकिन बात तो करो
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