अमरीका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर वामपंथी दल सोमवार से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के ख़िलाफ़ देशव्यापी अभियान छेड़ने जा रहे हैं।
वामपंथी दलों का कहना है कि इस अभियान में परमाणु समझौते के अलावा महँगाई और सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियाँ भी शामिल होगी।
इस अभियान में चारों वामपंथी पार्टियाँ- सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लाक शामिल होंगी।
वामपंथियों का कहना है कि इसके माध्यम से जनता को ये बताया जाएगा कि वामपंथियों ने सरकार से समर्थन क्यों वापस लिया।
दूसरी ओर सीपीआई ने स्पष्ट किया है कि वो संसद में परमाणु समझौते के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई समन्वय नहीं करेंगे।
दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद रविवार को सीपीआई महासचिव एबी बर्धन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार के विश्वास मत के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों के वोट का भाजपा से कोई लेना देना नहीं है।
उनका कहना था कि वामपंथी दल 'सांप्रदायिक ताकतों' से कोई तालमेल नहीं करेंगे।
बर्धन का कहना था,'' हम भाजपा से हाथ नहीं मिला रहे हैं। हमारा फ़ैसला कुछ राजनीतिक निर्णयों पर आधारित है। भाजपा जो करती है, वह उसका फ़ैसला होगा। ''
इसके पहले सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यूपीए सरकार से समर्थन वापसी के फ़ैसले की पुष्टि की और इसे उचित बताया।
एबी बर्धन का कहना था कि पार्टी के कुछ सदस्यों का मानना था कि ये क़दम काफ़ी पहले ही उठा लेना चाहिए था।
वामपंथी दलों का कहना है कि इस अभियान में परमाणु समझौते के अलावा महँगाई और सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियाँ भी शामिल होगी।
इस अभियान में चारों वामपंथी पार्टियाँ- सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लाक शामिल होंगी।
वामपंथियों का कहना है कि इसके माध्यम से जनता को ये बताया जाएगा कि वामपंथियों ने सरकार से समर्थन क्यों वापस लिया।
दूसरी ओर सीपीआई ने स्पष्ट किया है कि वो संसद में परमाणु समझौते के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई समन्वय नहीं करेंगे।
दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद रविवार को सीपीआई महासचिव एबी बर्धन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सरकार के विश्वास मत के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों के वोट का भाजपा से कोई लेना देना नहीं है।
उनका कहना था कि वामपंथी दल 'सांप्रदायिक ताकतों' से कोई तालमेल नहीं करेंगे।
बर्धन का कहना था,'' हम भाजपा से हाथ नहीं मिला रहे हैं। हमारा फ़ैसला कुछ राजनीतिक निर्णयों पर आधारित है। भाजपा जो करती है, वह उसका फ़ैसला होगा। ''
इसके पहले सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने यूपीए सरकार से समर्थन वापसी के फ़ैसले की पुष्टि की और इसे उचित बताया।
एबी बर्धन का कहना था कि पार्टी के कुछ सदस्यों का मानना था कि ये क़दम काफ़ी पहले ही उठा लेना चाहिए था।
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