Saturday, July 19, 2008

विश्वास मत से पहले बैठकों और आरोप-प्रत्यारोप का दौर - जुलाई 19, 2008

भारत की लोकसभा में मंगलवार को होने वाले विश्वास मत से पहले तेज़ हुई राजनीतिक सरगर्मियों में बैठकों का दौर, आरोप-प्रत्यारोप और सांसदों को मनाने के प्रयास जारी हैं।
वाम मोर्चे के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार 21-22 जुलाई को लोकसभा के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। लोकसभा की 545 सीटों में से दो रिक्त हैं। यूपीए सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 543 में से 272 सांसदों का समर्थन पाना होगा।

लड़ाई केंद्र की, घमासान उत्तर प्रदेश में...

विश्वास मत से तीन दिन पहले भी सत्ताधारी पक्ष और विपक्ष पूरे आत्मविश्वास से ये कह नहीं पा रहे हैं कि ऊँट किस करवट बैठेगा। राजनीतिक पर्यवेक्षक मान रहे हैं कि यूपीए सरकार अभूतपूर्व चुनौती का सामना कर रही है। ग़ौरतलब है कि 1999 में 13 दिन की वापजपेयी सरकार मात्र एक वोट से विश्वास मत हार गई थी।
सभी की नज़रें पाँच सांसदों वाले शिबू सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा (एएमएम), तीन सांसदों वाले जनता दल (एस), तीन सांसदों वाले अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) और तीन सांसदों वाली तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआईएस) और निर्दलीयों पर लगी हुई हैं।

कई अहम बैठकें आज

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की दो दिन की केंद्रीय समिति की बैठक शनिवार से शुरु हो रही है जिसमें लोकसभा में विश्वास मत के लिए अपनाई जाने वाली रणनीति को अंतिम स्वरूप दिया जाएगा।

सरकार जीते या हारे, हमाम में सभी नंगे दिखेंगे!

सीपीएम पहले ही अपनी पार्टी के सांसदों को विश्वास मत का विरोध करने का व्हिप जारी कर चुका है। ग़ौरतलब है कि सीपीएम की ओर से चुनाव लड़कर सांसद बने लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का नाम उन सांसदों की सूची में नहीं है जिन्हें व्हिप जारी किया गया है।
समाजवादी पार्टी पहले ही अपने सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट देने का व्हिप जारी कर चुकी है। लेकिन उसके कुछ सांसद बाग़ी हो गए हैं और पार्टी महासचिव ने 35 सांसदों के सरकार के पक्ष में वोट देने का भरौसा जताया है।
दूसरी और ख़बरें हैं कि शिवसेना भी अपने 12 सांसदों की बैठक करने जा रहा है। हाल में ऐसी ख़बरें आती रही हैं कि शिवसेना के कुछ नाराज़ सांसद पार्टी के ख़िलाफ़ बग़ावत कर सकते हैं लेकिन इसकी न तो पुष्टि हुई है और न ही खंडन हुआ है।

जेल में बंद सांसदों से भी है आस!

झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन दिल्ली में हैं और शनिवार को अपने दल के सांसदों की बैठक कर रहे हैं। उन्हें राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और यूपीए दोनों ही अपनी ओर खींचने में जुटे हुए हैं।

सोनिया मिलेंगी सांसदों से

जहाँ जनता दल (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिल सकते हैं वहीं कुछ कांग्रेस सांसदों के नाराज़ होने की ख़बरों के बीच यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी शनिवार को पार्टी सांसदों से मिलेंगी।
कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने बीबीसी से बातचीत में दावा किया, "यूपीए के घटकों के अलावा हमारे साथ और लोग भी है। रिस्क यानी ख़तरा तो है ही लेकिन सरकार ने ये रिस्क सब कुछ जानबूझकर लिया है। शिबू सोरेन, देवेगौड़ा, सभी हमारे साथ हैं..."

आंकड़ो के खेल पर एक नज़र

उधर भारतीय जनता पार्टी के नेता विजय कुमार मल्होत्रा ने कड़े आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय और यूपीए अध्यक्ष का निवास सौदेबाज़ी के अड्डे बने हुए हैं।
वाम मोर्चे के साथ हाथ मिलाकर बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती अब तेलुगुदेसम पार्टी नेता चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना राष्ट्रीय समिति नेता चंद्रशेखर राव से शनिवार को मिल रही हैं।
वाम मोर्चे के 59, उसके सहयोगी केरल कांग्रेस के दो सांसदों के साथ-साथ मायावती के 17 सांसद हैं जबकि तेलुगुदेसन पार्टी के लोकसभा में पाँच और टीआईएस के तीन सांसद है। वाम मोर्चा और बसपा स्पष्ट तौर पर विश्वास मत का विरोध करने का ऐलान कर चुके हैं।

1 comment:

Advocate Shambhu Prasad Choudhary said...

आपका लेख 'राष्ट्रीय महानगर' में पोस्ट किया जा रहा है। देखें- http://rashtriyamahanagar.blogspot.com/