Monday, July 21, 2008

संसद में बहस के लिए तैयार पार्टियां - जुलाई 21, 2008

भारत अमरीका परमाणु समझौते पर वाम दलों के समर्थन वापस लेने के बाद यूपीए सरकार अब कुछ ही घंटों में संसद में विश्वास प्रस्ताव पेश करेगी जिस पर बहस होगी।
बहस के बाद मंगलवार को विश्वास प्रस्ताव पर मतदान होगा जिसमें पता चल सकेगा कि पिछले पंद्रह दिनों तक विभिन्न पार्टियों की जोड़ तोड़ क्या रंग लाती है।
सदन में विश्वास प्रस्ताव से पहले लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है और इसमें सभी दल हिस्सा ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को लोक सभा में विश्वास मत के लिए एक लाइन का प्रस्ताव पेश करेंगे कि 'ये सदन मंत्रिपरिषद में अपना विश्वास व्यक्त करता है।'
माना जा रहा है कि इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संक्षिप्त भाषण देकर सदन में प्रस्ताव को स्वीकार करने का अनुरोध करेंगे।
इसके बाद सोमवार और मंगलवार को लोक सभा में इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी और चर्चा का जबाव एक बार फिर प्रधानमंत्री देंगे और उसके बाद मत विभाजन होगा जिसमें सरकार के भाग्य का फ़ैसला होगा।
बहस के लिए 16 घंटे का समय तय किया गया है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए बहस इससे अधिक भी चल सकती है।
बहस में हिस्सा लेने वालों में प्रधानमंत्री के अलावा सोनिया गांधी, प्रणब मुखर्जी, सीताराम येचुरी, लालकृष्ण आडवाणी और अन्य कई बड़े नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं।

कड़ी परीक्षा

संसद के 543 सांसदों में एक सांसद का मत वैध नहीं है जिसका अर्थ होगा कि 542 सांसदों के बीच बहुमत हासिल करना है।
यानी बहुमत के लिए 271 मत चाहिए और अभी तक यह पूर्ण रुप से स्पष्ट नहीं हुआ है कि किस गठबंधन के पास कितने सांसद हैं।
हालात यहां तक हैं कि बड़े नेता इन सवालों का जवाब तक देने से कतरा रहे हैं कि उनके साथ कितने सांसद हैं।
जहां एक तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को शिबू सोरेन की झामुमो का समर्थन मिला है वहीं ख़बरें है कि कांग्रेस के कुछ सांसद पार्टी के ख़िलाफ वोट दे सकते हैं।
यही हाल समाजवादी पार्टी का भी है जहां कम से कम पांच सांसद पार्टी के रुख से उलट यूपीए के ख़िलाफ़ मत देने वाले हैं।

विपक्षी गठबंधन

संसद में भारतीय जनता पार्टी भले ही मुख्य विपक्षी पार्टी हो लेकिन जोड़ तोड़ और पिछले एक हफ्ते के घटनाक्रम में मायावती ने बीजेपी को कहीं पीछे छोड़ दिया है।
मायावती अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल को अपने पक्ष में करने में सफल रही है और जद ( एस) के एसडी देवगौड़ा भी उनके साथ आ गए हैं।
लेफ्ट के साथ मिलकर मायावती ने एक विकल्प बनाने में सफलता हासिल कर ली है।
हालांकि तस्वीर अभी भी साफ नहीं है क्योंकि नित नई रिपोर्टो के अनुसार अकाली दल और शिव सेना के कुछ सांसद भी अपने पार्टी व्हिप के ख़िलाफ जाकर मतदान कर सकते हैं।
इन ऊहापोह और असमंजस की स्थिति के बीच अब कुछ ही देर में विश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरु होने वाली है।

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