Tuesday, July 22, 2008

विश्वास मत पर बहस फिर शुरु - जुलाई 22, 2008

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को बहस शुरु हो गई है और शाम तक मतदान होना है।
आज बहस शुरु करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रि चिदंबरम ने कहा कि किसी भी सरकार ने किसानों के लिए उतना काम नहीं किया जितना यूपीए सरकार ने किया है।
वित्त मंत्रि का कहना था था अमरीका के साथ 123 समझौते के मामले में सरकार ने सही फ़ैसला किया है और क़ानून के मुताबिक अगर कोई भ्रम की स्थिति पैदा होती है तो 123 समझौते को ही वैध माना जाएगा हाइड एक्ट को नहीं।
इस पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति की और शोर मचाया।
चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के मामले में बेहतरीन प्रगति हुई है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम में तय किए गए लक्ष्य पूरे किए गए हैं।
वित्त मंत्रि का कहना था कि सरकार ने परेशान किसानों का कर्ज़ माफ किया और उनके लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना शुरु की।
उनका कहना था कि इससे तीन करोड़ से अधिक किसानों को फ़ायदा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘ हमारी सरकार से पहले भी आत्महत्याएं हो रही थीं और हम इससे शर्मिंदा हैं लेकिन हमने इसे रोकने के लिए उपाय किए हैं और उनका कर्ज़ माफ़ किया है। ’
चिदंबरम के भाषण के दौरान विपक्षी सांसदों ने विरोध किया और स्पीकर को बार बार हस्तक्षेप करना पडा और विपक्षी सांसदों से शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।
वित्त मंत्रि ने ब्यौरेवार बताया कि पिछले चार वर्षों में अर्थव्यवस्था करीबन आठ प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ती रही है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ वार्ताओं के बारे में चिदंबरम का कहना था कि भारत ने सिर्फ अमरीका के साथ समझौता नहीं किया है बल्कि यह समझौता कई अन्य देशों के साथ भी है जिसे लागू करने के लिए आईएईए और एनएसजी से वार्ताएं करना ज़रुरी था।
उन्होंने कहा कि अमरीका के साथ समझौते से भारत को परमाणु क्षेत्र में फायदा होगा।
उनका कहना था कि 1974 और 1998 के बाद लगे प्रतिबंधों से जो हालात बने थे वो बदले हैं लेकिन इस समझौते से स्थितियां और बेहतर होंगी।

पालाबदल की आशंका

इससे पहले एक टीवी चैनल पर बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आशंका जताई कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के कुछ सांसद अपनी पार्टियों के ख़िलाफ वोट दे सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि बीजेपी के दो सांसदों ने साफ कर दिया है कि वो पार्टी के ख़िलाफ यानी यूपीए के समर्थन में वोट डालेंगे। पार्टी ने इन दोनों सांसदों की सदस्यता खारिज़ करने की मांग की है।
इसके अलावा सपा के कुछ सांसद पाला बदल रहे हैं और अभी यह कहना अत्यंत मुश्किल है कि कौन सांसद किसके पक्ष में जा रहा है।
कुछ सांसद जहां बीमार होने के कारण लोकसभा में नहीं आ सकेंगे वहीं कुछ सांसदों के अपनी पार्टियों के ख़िलाफ़ मत डालने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे मनमोहन सिंह सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर मतदान के दौरान लोकसभा में मौजूद नहीं रहेंगी।
कोलकाता में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी ने घोषणा की कि वो दिल्ली नहीं जाएँगी।
उनका कहना था, " मैं दिल्ली नहीं जा रही हूँ। मैं न कांग्रेस के लिए वोट डाल सकती हूँ, न भाजपा के लिए और न ही सीपीएम के लिए। "
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस की प्रतिनिधि सिर्फ़ ममता बनर्जी ही हैं यानी उनकी पार्टी के पास सिर्फ़ एक सीट है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा लोकसभा में प्रभावी सदस्य संख्या 541 है। दो सांसदों के स्थान खाली पड़े हैं, जबकि एक सांसद को मतदान का अधिकार नहीं है।
सरकार को जीत के लिए 271 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता पड़ेगी।


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