हिन्दी रूपांतरण:
भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह बगावती तेवर अपनाए अपने वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह की कोई गैर वाजिब मांग नहीं मानेगी। पार्टी उनके खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई करने भी नहीं जा रही है। अलबत्ता वह पार्टी से बाहर जाना चाहें तो उन्हें रोकेगी भी नहीं। कल्याण उत्तर प्रदेश की एटा संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। यदि वह चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनका यह निर्णय आने के बाद दूसरा उम्मीदवार तय कर लिया जाएगा।
कल्याण लंबे समय से असहयोगात्मक रुख अख्तियार किए हुए हैं। अब उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए हैं। जवाब में भाजपा नेतृत्व भी सख्त हो गया है। सूत्रों के अनुसार कल्याण की सपा प्रमुख मुलायम सिंह से हुई मुलाकात को पार्टी ने गंभीरता से लिया है। इसके बावजूद फिलहाल चुप रहने का फैसला लिया गया है। पार्टी इस मामले पर कुछ बोलने से पहले कल्याण की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों का इंतजार करेगी।
सोमवार की शाम पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर प्रमुख केंद्रीय नेताओं की बैठक हुई। इसमें कल्याण-मुलायम मुलाकात पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व ने भविष्य में कल्याण की किसी शर्त को मानने या उनके दबाव में न आने का पक्का मन बना लिया है। चाहे वह किसी उम्मीदवार को बदलने का मामला हो या फिर किसी और को टिकट देने की बात। चुनावी नीति के हिसाब से पार्टी अपनी तरफ से कल्याण के खिलाफ तब तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जब तक वह ऐसा करने को मजबूर नहीं करते हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कल्याण सिंह की पार्टी में वापसी के बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव व उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को नुकसान ही हुआ है, जबकि विधानसभा चुनाव में कल्याण पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी थे।
इस बीच केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कल्याण की अनुपस्थिति और उनकी मुलायम से हुई मुलाकात पर पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने यही कहा कि कल्याण सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रचारक हैं। वह उत्तर प्रदेश के बारे में जो भी तय करेगें, पार्टी उस पर विचार करेगी।
English Translation:
Speculation is rife in the Bharatiya Janata Party that the former Uttar Pradesh Chief Minister, Kalyan Singh, may be planning to part ways with it for a second time.
It is widely admitted in the party that he is unhappy that a candidate for the Lok Sabha seat now held by him, Bulandshahr, was finalised against his wishes. After delimitation, Bulandshahr has become a reserved constituency and the BJP has declared that the sitting Khurja MP Ashok Pradhan will be its nominee there. Khurja was a reserved seat in 2004 and it has been absorbed in neighbouring constituencies in the delimitation process.
The party decision has reportedly angered Mr. Singh, who holds Mr. Pradhan responsible for the defeat of his son, Rajbir, in the last Assembly poll. The animosity between Mr. Singh and Mr. Pradhan has reached boiling point. On Monday morning a group reached the party headquarters here and shouted slogans supporting Mr. Pradhan and denouncing Mr. Singh. Apparently, this show of support was organised by Mr. Pradhan for fear the party would give in to pressure from Mr. Singh and go back on its offer of the Bulandshahr ticket.
For the past several months, Mr. Singh, now vice-president, has not been attending party meetings. He was absent also at the Central Election Committee meeting held on Monday. Officially, ill-health has been cited as the reason, but senior party leaders admit that he is sulking.
On Sunday, matters came to a head after reports that Samajwadi Party president Mulayam Singh met him, a claim Mr. Mulayam Singh denied on Monday through a news agency. At the same time, he made a reported statement that he is willing to “give ticket” to Mr. Kalyan Singh’s son if he is approached.
“He is going in that direction – towards the SP,” a BJP leader said, speaking on condition of anonymity. Party leaders recall that Mr. Singh forged close links with the SP after he left the BJP and formed his own outfit, the Rashtriya Kranti Party. He returned to the BJP ahead of the 2004 Lok Sabha poll.
The BJP leaders point out that recently Kusum Rai, known to be close to Mr. Kalyan Singh, was given Rajya Sabha ticket. The feeling in the party is that he should not ask for more accommodation.
BJP general secretary Arun Jaitley, in-charge of Uttar Pradesh affairs, met Mr. Kalyan Singh on Saturday in a bid to reason out issues with him.
Apparently, reports here suggest, the situation is so bad that whenever Mr. Pradhan goes to Bulandshahr, supporters of Rajbir greet him with black flags and black badges.
भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह बगावती तेवर अपनाए अपने वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह की कोई गैर वाजिब मांग नहीं मानेगी। पार्टी उनके खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई करने भी नहीं जा रही है। अलबत्ता वह पार्टी से बाहर जाना चाहें तो उन्हें रोकेगी भी नहीं। कल्याण उत्तर प्रदेश की एटा संसदीय सीट से भाजपा के उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। यदि वह चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनका यह निर्णय आने के बाद दूसरा उम्मीदवार तय कर लिया जाएगा।
कल्याण लंबे समय से असहयोगात्मक रुख अख्तियार किए हुए हैं। अब उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए हैं। जवाब में भाजपा नेतृत्व भी सख्त हो गया है। सूत्रों के अनुसार कल्याण की सपा प्रमुख मुलायम सिंह से हुई मुलाकात को पार्टी ने गंभीरता से लिया है। इसके बावजूद फिलहाल चुप रहने का फैसला लिया गया है। पार्टी इस मामले पर कुछ बोलने से पहले कल्याण की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों का इंतजार करेगी।
सोमवार की शाम पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर प्रमुख केंद्रीय नेताओं की बैठक हुई। इसमें कल्याण-मुलायम मुलाकात पर भी चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व ने भविष्य में कल्याण की किसी शर्त को मानने या उनके दबाव में न आने का पक्का मन बना लिया है। चाहे वह किसी उम्मीदवार को बदलने का मामला हो या फिर किसी और को टिकट देने की बात। चुनावी नीति के हिसाब से पार्टी अपनी तरफ से कल्याण के खिलाफ तब तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी, जब तक वह ऐसा करने को मजबूर नहीं करते हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कल्याण सिंह की पार्टी में वापसी के बाद उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव व उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को नुकसान ही हुआ है, जबकि विधानसभा चुनाव में कल्याण पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी थे।
इस बीच केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कल्याण की अनुपस्थिति और उनकी मुलायम से हुई मुलाकात पर पार्टी महासचिव अनंत कुमार ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने यही कहा कि कल्याण सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुख्य प्रचारक हैं। वह उत्तर प्रदेश के बारे में जो भी तय करेगें, पार्टी उस पर विचार करेगी।
English Translation:
Speculation is rife in the Bharatiya Janata Party that the former Uttar Pradesh Chief Minister, Kalyan Singh, may be planning to part ways with it for a second time.
It is widely admitted in the party that he is unhappy that a candidate for the Lok Sabha seat now held by him, Bulandshahr, was finalised against his wishes. After delimitation, Bulandshahr has become a reserved constituency and the BJP has declared that the sitting Khurja MP Ashok Pradhan will be its nominee there. Khurja was a reserved seat in 2004 and it has been absorbed in neighbouring constituencies in the delimitation process.
The party decision has reportedly angered Mr. Singh, who holds Mr. Pradhan responsible for the defeat of his son, Rajbir, in the last Assembly poll. The animosity between Mr. Singh and Mr. Pradhan has reached boiling point. On Monday morning a group reached the party headquarters here and shouted slogans supporting Mr. Pradhan and denouncing Mr. Singh. Apparently, this show of support was organised by Mr. Pradhan for fear the party would give in to pressure from Mr. Singh and go back on its offer of the Bulandshahr ticket.
For the past several months, Mr. Singh, now vice-president, has not been attending party meetings. He was absent also at the Central Election Committee meeting held on Monday. Officially, ill-health has been cited as the reason, but senior party leaders admit that he is sulking.
On Sunday, matters came to a head after reports that Samajwadi Party president Mulayam Singh met him, a claim Mr. Mulayam Singh denied on Monday through a news agency. At the same time, he made a reported statement that he is willing to “give ticket” to Mr. Kalyan Singh’s son if he is approached.
“He is going in that direction – towards the SP,” a BJP leader said, speaking on condition of anonymity. Party leaders recall that Mr. Singh forged close links with the SP after he left the BJP and formed his own outfit, the Rashtriya Kranti Party. He returned to the BJP ahead of the 2004 Lok Sabha poll.
The BJP leaders point out that recently Kusum Rai, known to be close to Mr. Kalyan Singh, was given Rajya Sabha ticket. The feeling in the party is that he should not ask for more accommodation.
BJP general secretary Arun Jaitley, in-charge of Uttar Pradesh affairs, met Mr. Kalyan Singh on Saturday in a bid to reason out issues with him.
Apparently, reports here suggest, the situation is so bad that whenever Mr. Pradhan goes to Bulandshahr, supporters of Rajbir greet him with black flags and black badges.
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