Friday, January 30, 2009

बटला हाउस मुठभेड़ की जांच हो - जनवरी 30, 2009

हिन्दी रूपांतरण:

बटला हाउस एन्काउंटर की न्यायिक जांच की मांग को लेकर विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने एकजुट होकर गुरुवार को पार्लियामेंट स्ट्रीट पर विरोध जताया। उलेमा काउंसिल (यूपी) के इस विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, पीस फाउंडेशन ऑफ इंडिया, मिल्ली काउंसिल, जमात--उलेमा--हिंद सहित कई अन्य मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।

इस प्रदर्शन में भाग लेने आजमगढ़ से मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, कार्यकर्ता स्कूल, कॉलेजों और मदरसों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स बड़ी तादाद में दिल्ली पहुंचे। जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जामिया हमदर्द और दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के अलावा बटला हाउस जामिया नगर इलाके में रहने वाले और स्थानीय नेताओं ने भी इसमें शामिल होकर अपना विरोध जताया। उलेमा काउंसिल के संयोजक मौलाना आमिर रशादी ने कहा कि बटला हाउस एन्काउंटर के बाद से ही हम लगातार इसकी न्यायिक जांच कराने की मांग कर रहे थे, लेकिन जब वहां हमारी सुनवाई नहीं हुई, तो हमें दिल्ली आना पड़ा।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के नाम पर आजमगढ़ को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। गौरतलब है कि रशादी के बेटे तल्हा आमिर को महाराष्ट्र एटीएस ने 21 दिसंबर को नागपुर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई थी। मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तसलीम रहमानी ने कहा कि पढ़ लिखकर आगे बढ़ने की चाह रखने वाले मुस्लिम युवाओं खासतौर पर आजमगढ़ के युवाओं को आतंकवादी घोषित करके जिस तरह से उन्हें और उनके परिवारों को प्रताडि़त किया जा रहा है, उसी के विरोध में हम एकजुट हुए हैं। सभा में सबसे ज्यादा तादाद आजमगढ़ से आए मुसलमानों की ही थी। इसके लिए उन्होंने एक पूरी ट्रेन को ही बुक कर लिया था। इस ट्रेन को नाम दिया गया था 'उलेमा स्पेशल : आजमगढ़ टु एल-18, बटला हाउस।' इसके लिए रेलवे को करीब 13 लाख रुपये की पेमेंट भी की गई थी।

मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि यात्रा किसी राजनीतिक पार्टी द्वारा प्रायोजित नहीं की गई थी, बल्कि इसके लिए आजमगढ़ के लोगों ने बाकायदा चंदा किया था। इस सभा के मद्देनजर पार्लियामेंट स्ट्रीट इलाके में भारी तादाद में पुलिस बल भी तैनात किया गया था। साथ ही कई रास्तों से ट्रैफिक को भी डायवर्ट किया गया था। विरोध सभा में करीब तीन हजार लोग जमा हुए थे। इस सभा पर खुफिया एजंसियों की भी नजर थी। करीब 11 बजे शुरू हुई यह सभा दोपहर बाद खत्म हुई। बाद में संगठन के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री से मिलकर ज्ञापन सौंपा।

English Translation:

Demanding a judicial probe into the Batla House encounter, around 4,000 clerics and their supporters staged a demonstration in the national capital on Thursday, after travelling from Azamgarh to Delhi by train. They marched from the Old Delhi railway station to Parliament Street raising slogans. The rally culminated at Jantar Mantar for a day-long demonstration, joined by students of Jamia, Jawaharlal Nehru and Delhi universities, and some human rights lawyers and representatives from the Left parties.

They demanded a probe into the alleged fake encounter at Batla House on September 19, 2008. They called the alleged slain terrorist in the encounter "martyrs". The police were dubbed as the "biggest terrorists" by the demonstrators. "The police terrorise Muslims in this country and are responsible for ruining the life of many young Muslims by slapping false cases against them," the demonstrators said.

In the same vein, they demanded that the Ashok Chakra, awarded to slain cop M.C. Sharma for his exemplary bravery in the Batla encounter, be taken back.

The demonstration though had more political connotations to it with the upcoming general elections in mind. The Ulema Council formed in Azamgarh after the Batla House encounter blamed the Congress leaders and the BJP leaders alike for ignoring the interests of Muslims. They declared a jihad against the UPA government.

Their ire was also directed against the Samajwadi Party (SP) which is supposed to have the backing of Muslims in Uttar Pradesh to the extent that SP chief Mulayam Singh Yadav was addressed as "Maulana Yadav" in some political circles. Ulema representatives blamed Yadav and SP general secretary Amar Singh for exploiting the Muslim vote bank for political gains, but did nothing for the community. Amar Singh was very vocal on the issue of Batla encounter but ever since has maintained a stoic silence and that was the reason of anger amongst the Ulema.

Further, the Ulema Council announced that they would field two candidates for the coming Lok Sabha from the Azamgarh Sadar and Lal Ganj constituencies. Maulana Amir Rashsadi, chairman of Ulema Council, dubbed the present Muslim MPs and MLAs as "sarkari" Muslims, who have not stood for the cause of their community and, therefore, not welcome in the Ulema Council.

The tone and tenor of the deliberations were highly communal, provocative and sensitive in nature and therefore the Delhi Police had made elaborate security arrangements. The district police had deployed 1,000 men with standing instructions of "do not get provoked". Policemen in plain clothes were also put in service to prevent any untoward incident.

Congress spokesperson Abhishek Manu Singhvi clarified that his party's position on the issue "remains unchanged".

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