हिन्दी अनुवाद:
सत्यम की बिक्री के लिए बिछी बिसात पर अब सिर्फ तीन कंपनियां ही बाजी लगाएंगी। इनमें एलएंडटी, स्पाइस समूह और टेक महिंद्रा शामिल हैं। इन तीनों कंपनियों ने शुक्रवार को अपने रुचि पत्र सौंप दिए। टेक महिंद्रा कामर्शियल वाहन बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा की साफ्टवेयर कंपनी है।
पहले बोली प्रक्रिया में शामिल होने के संकेत दे रही अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी आईगेट ने हालांकि, अब अपना इरादा बदलते हुए रुचि पत्र पेश नहीं किया है। समझा जाता है कि कंपनी बोली लगाने से पहले सत्यम की वित्तीय सेहत के बारे में कुछ और ब्यौरा चाहती थी। रुचि पत्र पेश किए जाने की अंतिम तिथि 20 मार्च सायं समाप्त हो गई। सत्यम में पहले से ही 12 फीसदी हिस्सेदारी होने के चलते एलएंडटी का दावा अन्य कंपनियों के मुकाबले अपेक्षाकृत मजबूत माना जा रहा है।
रुचि पत्र पेश करने वाली तीनों कंपनियों ने इस बात का दावा किया है कि उनके पास नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के आवश्यक 1500 करोड़ रुपये हैं। शुक्रवार को सत्यम के एक शेयर की कीमत 43.90 रुपये थी। इस लिहाज से हैदराबाद स्थित देश की इस चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी की कुल कीमत 2954 करोड़ आंकी गई है। कंपनी के संभावित बोलीदाताओं का चयन करने के लिए सत्यम के बोर्ड ने हैदराबाद में बैठक कर रुचि पत्रों का अध्ययन किया। चयनित बोलीदाताओं को कंपनी की ताजा वित्तीय, कारोबारी और कानूनी स्थितियों से परिचित कराया जाएगा। किरण कार्णिक की अध्यक्षता वाले सत्यम के बोर्ड द्वारा 25 मार्च से पहले बोलीदाताओं का चयन कर लेने की संभावना है। इसके बाद बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बोली प्रक्रिया से बाहर रहने के अपने फैसले की वजह बताने से आईगेट ने परहेज किया है। कंपनी के सीईओ फणीश मूर्ति ने इससे पहले कहा था कि यदि उन्हें ताजा वित्तीय आंकड़े नहीं मिलते तो वे हाथ खींच लेंगे। उद्योग जगत का मानना है कि सत्यम की देनदारियों, इस पर चल रहे मुकदमों तथा घपले की बात सामने आने के बाद करार तोड़ने वाले ग्राहकों की ज्यादा संख्या के मद्देनजर आईगेट ने अपना फैसला बदला है। इससे पहले हिंदुजा समूह ने भी सत्यम के लिए बोली न लगाने का फैसला किया था।
सत्यम के संस्थापक बी. रामलिंगा राजू द्वारा सात जनवरी को खातों में छेड़छाड़ की बात स्वीकार करने के बाद इसकी नई आडिटर फर्मे केपीएमजी और डेलायट कंपनी की वित्तीय सेहत की जांच करने में लगी हुई हैं। राजू द्वारा किए गए 7800 करोड़ रुपये के इस घपले ने सत्यम को कंगाली के हाल में पहुंचा दिया है। देश के इस सबसे बड़े कारपोरेट घोटाले के जरिए लगी चपत का ही नतीजा है कि आईटी कंपनी के पास अपने खर्चे चलाने के लिए भी धन नहीं है। इन मुश्किलों से पार पाने के लिए ही सत्यम ने सरकार से अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने की अनुमति मांगी थी। पहले कंपनी ला बोर्ड तथा बाद में बाजार नियामक सेबी ने उसे अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद ही कंपनी ने अपनी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों से 20 मार्च शाम तक रुचि पत्र जमा करने को कहा था।
सेबी के निर्देशानुसार कंपनी की तरफ से चुने गए निवेशक को 31 फीसदी हिस्सेदारी तरजीही शेयर के रूप में मिलेगी। शेष 20 फीसदी शेयर पाने के लिए निवेशक को खुले बाजार में पेशकश करनी होगी। यह पेशकश उसी दाम पर होगी, जिस पर बोलीकर्ता ने कंपनी से शेयर खरीदे होंगे। बोली प्रक्रिया में शामिल होने और खुली पेशकश लाने के बावजूद भी यदि कोई निवेशक कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी न हासिल कर पाया तो उसे सत्यम में बढ़ाए गए अतिरिक्त शेयरों में से खरीदारी करने का अधिकार होगा। नियामक के अनुसार 51 प्रतिशत भागीदारी पूरी करने के लिए यदि अतिरिक्त शेयरों की खरीद होती है तो ऐसी स्थिति में हिस्सेदारी पर फिर से खुली पेशकश करने की शर्त नहीं होगी। रणनीतिक निवेशक को तीन साल तक अधिग्रहित शेयरों को बेचने की अनुमति नहीं होगी, हालांकि निवेशक उसमें और शेयर जोड़ सकता है।
English Translation:
L&T, Spice Corp and Tech Mahindra on Friday submitted their expressions of interest (EoI) to participate in the open auction to acquire 51 per cent of controlling stake in Satyam Computer Services, before the deadline ended on Friday, while iGATE, a last minute entrant, backed out.
However, whether the IT giants that reportedly entered the fray through proxies — private equity firms — submitted their EoIs could not be established. Spice Corp spokesperson confirmed that the company submitted the EoI along with proof of availability of cash of Rs. 1,500 crore.
Similarly, Tech Mahindra too presented the EoI and cash proof in tune with the guidelines prescribed by the board of directors. However, the company may insist on knowing whether the number of employees has been inflated and what is the actual number.
Tech Mahindra is said to be of the impression that the number of associates may be more than what was projected. However, the company feels that going by the revenues, a large number of employees can be manageable. It also sought to know whether Satyam has any forex losses and inter-corporate deposits.
In a statement, iGATE said that “based on further analysis”, it had decided not to participate in the bidding process.
Engineering major L&T, which is the largest stakeholder in Satyam (12.04 per cent), submitted its EoI with proof of cash availability.
The Government-appointed six-member board of directors met here to discuss the pricing of the company as public auction would commence soon. Goldman Sachs and Avendus, the firms appointed as investment bankers, made a presentation on the evaluations made. Independent auditors, Deloitte and KPMG, made presentations to the board members on the financial details that could be shared with the bidders who submitted the EoI.
सत्यम की बिक्री के लिए बिछी बिसात पर अब सिर्फ तीन कंपनियां ही बाजी लगाएंगी। इनमें एलएंडटी, स्पाइस समूह और टेक महिंद्रा शामिल हैं। इन तीनों कंपनियों ने शुक्रवार को अपने रुचि पत्र सौंप दिए। टेक महिंद्रा कामर्शियल वाहन बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा की साफ्टवेयर कंपनी है।
पहले बोली प्रक्रिया में शामिल होने के संकेत दे रही अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी आईगेट ने हालांकि, अब अपना इरादा बदलते हुए रुचि पत्र पेश नहीं किया है। समझा जाता है कि कंपनी बोली लगाने से पहले सत्यम की वित्तीय सेहत के बारे में कुछ और ब्यौरा चाहती थी। रुचि पत्र पेश किए जाने की अंतिम तिथि 20 मार्च सायं समाप्त हो गई। सत्यम में पहले से ही 12 फीसदी हिस्सेदारी होने के चलते एलएंडटी का दावा अन्य कंपनियों के मुकाबले अपेक्षाकृत मजबूत माना जा रहा है।
रुचि पत्र पेश करने वाली तीनों कंपनियों ने इस बात का दावा किया है कि उनके पास नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने के आवश्यक 1500 करोड़ रुपये हैं। शुक्रवार को सत्यम के एक शेयर की कीमत 43.90 रुपये थी। इस लिहाज से हैदराबाद स्थित देश की इस चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी की कुल कीमत 2954 करोड़ आंकी गई है। कंपनी के संभावित बोलीदाताओं का चयन करने के लिए सत्यम के बोर्ड ने हैदराबाद में बैठक कर रुचि पत्रों का अध्ययन किया। चयनित बोलीदाताओं को कंपनी की ताजा वित्तीय, कारोबारी और कानूनी स्थितियों से परिचित कराया जाएगा। किरण कार्णिक की अध्यक्षता वाले सत्यम के बोर्ड द्वारा 25 मार्च से पहले बोलीदाताओं का चयन कर लेने की संभावना है। इसके बाद बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बोली प्रक्रिया से बाहर रहने के अपने फैसले की वजह बताने से आईगेट ने परहेज किया है। कंपनी के सीईओ फणीश मूर्ति ने इससे पहले कहा था कि यदि उन्हें ताजा वित्तीय आंकड़े नहीं मिलते तो वे हाथ खींच लेंगे। उद्योग जगत का मानना है कि सत्यम की देनदारियों, इस पर चल रहे मुकदमों तथा घपले की बात सामने आने के बाद करार तोड़ने वाले ग्राहकों की ज्यादा संख्या के मद्देनजर आईगेट ने अपना फैसला बदला है। इससे पहले हिंदुजा समूह ने भी सत्यम के लिए बोली न लगाने का फैसला किया था।
सत्यम के संस्थापक बी. रामलिंगा राजू द्वारा सात जनवरी को खातों में छेड़छाड़ की बात स्वीकार करने के बाद इसकी नई आडिटर फर्मे केपीएमजी और डेलायट कंपनी की वित्तीय सेहत की जांच करने में लगी हुई हैं। राजू द्वारा किए गए 7800 करोड़ रुपये के इस घपले ने सत्यम को कंगाली के हाल में पहुंचा दिया है। देश के इस सबसे बड़े कारपोरेट घोटाले के जरिए लगी चपत का ही नतीजा है कि आईटी कंपनी के पास अपने खर्चे चलाने के लिए भी धन नहीं है। इन मुश्किलों से पार पाने के लिए ही सत्यम ने सरकार से अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने की अनुमति मांगी थी। पहले कंपनी ला बोर्ड तथा बाद में बाजार नियामक सेबी ने उसे अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद ही कंपनी ने अपनी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक कंपनियों से 20 मार्च शाम तक रुचि पत्र जमा करने को कहा था।
सेबी के निर्देशानुसार कंपनी की तरफ से चुने गए निवेशक को 31 फीसदी हिस्सेदारी तरजीही शेयर के रूप में मिलेगी। शेष 20 फीसदी शेयर पाने के लिए निवेशक को खुले बाजार में पेशकश करनी होगी। यह पेशकश उसी दाम पर होगी, जिस पर बोलीकर्ता ने कंपनी से शेयर खरीदे होंगे। बोली प्रक्रिया में शामिल होने और खुली पेशकश लाने के बावजूद भी यदि कोई निवेशक कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी न हासिल कर पाया तो उसे सत्यम में बढ़ाए गए अतिरिक्त शेयरों में से खरीदारी करने का अधिकार होगा। नियामक के अनुसार 51 प्रतिशत भागीदारी पूरी करने के लिए यदि अतिरिक्त शेयरों की खरीद होती है तो ऐसी स्थिति में हिस्सेदारी पर फिर से खुली पेशकश करने की शर्त नहीं होगी। रणनीतिक निवेशक को तीन साल तक अधिग्रहित शेयरों को बेचने की अनुमति नहीं होगी, हालांकि निवेशक उसमें और शेयर जोड़ सकता है।
English Translation:
L&T, Spice Corp and Tech Mahindra on Friday submitted their expressions of interest (EoI) to participate in the open auction to acquire 51 per cent of controlling stake in Satyam Computer Services, before the deadline ended on Friday, while iGATE, a last minute entrant, backed out.
However, whether the IT giants that reportedly entered the fray through proxies — private equity firms — submitted their EoIs could not be established. Spice Corp spokesperson confirmed that the company submitted the EoI along with proof of availability of cash of Rs. 1,500 crore.
Similarly, Tech Mahindra too presented the EoI and cash proof in tune with the guidelines prescribed by the board of directors. However, the company may insist on knowing whether the number of employees has been inflated and what is the actual number.
Tech Mahindra is said to be of the impression that the number of associates may be more than what was projected. However, the company feels that going by the revenues, a large number of employees can be manageable. It also sought to know whether Satyam has any forex losses and inter-corporate deposits.
In a statement, iGATE said that “based on further analysis”, it had decided not to participate in the bidding process.
Engineering major L&T, which is the largest stakeholder in Satyam (12.04 per cent), submitted its EoI with proof of cash availability.
The Government-appointed six-member board of directors met here to discuss the pricing of the company as public auction would commence soon. Goldman Sachs and Avendus, the firms appointed as investment bankers, made a presentation on the evaluations made. Independent auditors, Deloitte and KPMG, made presentations to the board members on the financial details that could be shared with the bidders who submitted the EoI.
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